वाशिंगटन। भारतीय मूल के वैज्ञानिकों ने विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण शोध किया है। उनके दल ने ब्लाइंडनेस के ट्रीटमेंट हेतु स्टेम सेल पर आधारित रेटिनल सेल के निर्माण का कार्य किया है। यह कार्य बेहतर तरह से किया गया है। वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल से रेटिनल सेल बनाने को लेकर अध्ययन किया और इसमें बड़ी सफलता प्राप्त की है।
अमेरिका के नेशनल आई इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने जो जानकारी प्रसारित की है। उसमें परत प्रकाश की पहचान करने वाले, रेटीना के फोटोरिसेप्टर का रहना जरूरी होता है।
गौरतलब है कि, रोगियों में मूल कोशिका अर्थात् स्टेम सेल पर आधारित रेटिनल पिग्मेंट इपिथेलियम का ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। इस मामले में, वैज्ञानिकों ने गहन अध्ययन किया है। जिसमें कहा गया है कि, वे ब्लाईंडनेस को गहराई से समझ रहे हैं। अध्ययन में वे यह जानकारी प्राप्त कर रहे हैं कि, एएमडी में विभिन्न तरह के सेल्स सर्वप्रथम कार्य करना बंद कर देते हैं।
गौरतलब है कि, अमेरिका के नेशनल आई इंस्टीट्युट के वैज्ञानिकों ने जो अध्ययन किया है। वे उसे शानदार तरह से समझना चाहते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि, आखिर आरपीई सेल्स का निर्माण किस तरह से होता है। इन सेल्स को किस तरह से बदला जा सकता है। और ये सेल्स निष्क्रिय कैसे हो जाते हैं। आखिर इनकी पहचान किस तरह से की जा सकती है।
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