इस बात से हम सभी वाकिफ हैं कि उच्च शिक्षा प्राप्त करना किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं रहता है और किताबों का बोझ, रोज-रोज के असाइनमेंट, परीक्षाओं का दबाव, ये सब ऐसी चीजें हैं जिनकी वजह से अक्सर छात्र तनाव में भी आ ही जाते हैं. वहीं ऑस्ट्रेलिया में पीएचडी कर रहे एक भारतीय छात्र के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है.
दरअसल, बात यह है कि यहां पर 52 वर्षीय भारतीय छात्र कुलदीप मान ने दावा किया है कि उन्होंने साल 2015 में टाउनविले कैंपस में सोशल साइंस (सामाजिक विज्ञान) पीएचडी कोर्स के लिए आवेदन किया था और इसके लिए उन्होंने 20,000 डॉलर यानी करीब 14 लाख रुपये की राशि भी अदा की थी. हालांकि जब उन्होंने दो विषयों के साथ अपना पाठ्यक्रम शुरू किया था, तो विश्वविद्यालय ने साहित्यिक चोरी के आधार पर उनके एडमिशन (प्रवेश) को रिजेक्ट (अस्वीकार) कर दिया और उन्हें बताया था कि वह कसौटी पर खरा नहीं उतरे हैं.
एक अंग्रेजी वेबसाइट mensxp.com से मिली जानकारी की माने तो, अंतर्राष्ट्रीय समाचार प्रकाशन से बात करते हुए उन्होंने कहा है कि अगर विश्वविद्यालय ने मेरे साथ इस तरह का छल नहीं किया होता तो मेरा करियर बर्बाद नहीं होता और अब तक मेरे पास पीएचडी की डिग्री होती. कुलदीप ने माना कि मुझे अब अपने पार्टनर के साथ संबंध बनाने की भी इच्छा नहीं होती है और मैं बहुत ही तनाव में रहता हूं. फिलहा छात्र मान द्वारा इसके लिए अब क्वींसलैंड में स्थित जेम्स कुक विश्वविद्यालय पर 3 मिलियन डॉलर यानी करीब 20 करोड़ 90 लाख रुपये का मुकदमा ठोका है.
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