कोरोना काल में सियासत, मानव धर्म से ऊपर उठी राजनीति !

कोरोना काल में सियासत, मानव धर्म से ऊपर उठी राजनीति !
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मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है, हालांकि हिन्दुस्तान में कई हद तक राजनेताओं को राजनीति से बड़ा कोई धर्म नजर नहीं आता है   कोरोना काल में भी हिन्दुस्तान की सियासत हमेशा की तरह ही सुर्ख़ियों में रही है। सत्तादल हो या फिर विपक्षी दल दोनों ने ही इस अवसर का फायदा उठाया है, इसके साथ ही जो नियम-कायदे सरकार देश-प्रदेश की जनता के लिए तय करती है, वह खुद ही उससे कोसों दूर नजर आती है।  

कोरोना महामारी से लड़ने में जहां कई दल सरकार के साथ खड़े नजर आए तो वहीं कई दलों ने इससे किनारा भी किया। उन्हें बस अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने से मतलब रहा है। जबकि विपक्ष ने जहां सरकार पर आरोप लगाए कि भारतीय जनता पार्टी ने इस दौरान ओछी सियासत की है, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने भी विपक्षियों को जमकर घेरा।  

सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे संकट के समय में भारत जो कि इतना बड़ा लोकतांत्रिक देश है, वहां किसी भी दल को सियासत करना चाहिए ? तो आपको एक शब्द में उत्तर मिलेगा कि नहीं। लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि मानव सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है, तो फिर संकट के समय में अपने देश-प्रदेश की जनता के लिए सरकार और विपक्ष दोनों को ही एकजुट होना चाहि। क्योंकि राजनीति में ऐसे बहुत कम अवसर आते हैं, जब सरकार और विपक्ष दोनों मिलकर काम कर सके। अतः सत्ताधारियों और विपक्षियों दोनों को ही इस मौके का फायदा जनता की सेवा कर उठाना चाहिए न कि सियासत करके।  

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