नई दिल्ली: इंडियन रेलवे की संपत्तियों के मुद्रीकरण, भारतीय ट्रेनों को प्राइवेट संस्थाओं को सौंपने जैसी कई सरकारी की नीतियों के खिलाफ आज से पूरे देश में लाखों रेलवे कर्मचारी हफ्ते भर तक विरोध-प्रदर्शन करेंगे. रेल कर्मचारियों की राष्ट्रीय संस्था नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (NFIR) के आह्वान पर रेल कर्मचारी विरोध सप्ताह में हिस्सा ले रहे हैं. इसके तहत सभी रेल जोन में रेलवे कर्मी आज से 18 सितंबर तक बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन और रैलियां करेंगे.
NFIR के महामंत्री डॉ. एम रघुवईया ने रेलवे में संपत्तियों के निजीकरण और ट्रेनों को प्राइवेट संस्थाओं को सौंपने को लेकर सरकार के फैसले पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि ऐसा करना राष्ट्र और समान रूप से रेल कर्मचारियों के हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा घोषित मुद्रीकरण नीति सरकार के प्रभार के तहत मेगा सार्वजनिक संपत्तियों की बिक्री को दर्शाती है, जिसमें भारतीय रेलवे समेत तमाम प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं.
उन्होंने आगे कहा कि सरकार, भारतीय रेल की भूमिका को पहचानने में नाकाम रही है, जो राष्ट्र की जीवन रेखा है, क्योंकि यह तमाम वर्गों को सेवाएं प्रदान करती है. उन्होंने कहा कि भारत के 2.30 करोड़ से ज्यादा लोग रोज़ाना ट्रेनों से यात्रा करते हैं और इंडियन रेलवे ने वर्ष 2021-22 में कोविड- 19 महामारी के बीच 1233 मिलियन टन से ज्यादा माल ढुलाई कर अहम उपलब्धि हासिल की है और पूरे राष्ट्र में निर्बाध आपूर्ति लाइन सुनिश्चित की है. इंडियन रेलवे और उसके कार्यबल को पुरस्कृत करने की जगह, सरकार का इरादा कुछ व्यक्तिगत एकाधिकारवादियों को फायदा पहुंचाने के लिए संपत्ति के मुद्रीकरण का सहारा लेना है.
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