रेलवे ने निकाला ऐसा टिकट कि 5 साल तक चला केस, आया ये फैसला

रेलवे ने निकाला ऐसा टिकट कि 5 साल तक चला केस, आया ये फैसला
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कई बार जल्दीबाज़ी में गड़बड़ी हो जाती है जिसके चलते कभी कभी भारी नुकसान भी सहना पड़ता है. ऐसा ही एक मामला आया है जिसे सुनकर आप भी चौंक जायेंगे. मामला है रेलवे का जिसकी टिकट पर ऐसी गड़बड़ी हुई कि मामला कोर्ट तक जा पहुंचा. ये मामला 5 साल पुराना 2013 का है जो मेरठ में हुआ था. यात्री ने 19 नवम्बर 2013 को टिकट लिया था लेकिन वो टिकट 19 नवंबर 3013 का का कट गया यानी सीधे एक हज़ार साल बाद का टिकट. मामला कोर्ट तक गया और सुर्ख़ियों में आ गया.

दरअसल, पांच साल पहले एक बुजुर्ग प्रोफेसर विष्णु कांत शुक्ला हिमगिरी एक्सप्रेस से सहारनपुर से जौनपुर जा रहे थे. लेकिन एक गलती से रेलवे ने उन्हें एक हज़ार साल आगे पहुंचा दिया और 3013 का टिकट थमा दिया. अब ऐसे में प्रोफेसर टिकट चेकर के निशाने पर आगये क्योंकि टीसी ने उनका वो टिकट लेने से इंकार कर दिया. इतना ही नहीं उन्हें 800 का भुगतान करने को कहा या फिर ट्रैन से उतर जाने की हिदायत दी. इसके बाद प्रोफेसर को मुराबाद स्टेशन पर उतार दिया गया.

इतना सब होने के बाद विष्णुकांत को सहारनपुर की एक उपभोक्ता अदालत में ले गए जहां फैसला आने में पांच साल लग गए. इसके बाद कोर्ट का फैसला यात्री के पक्ष में आया और रेलवे को 10 हजार रुपए जुर्माना 3 हजार रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है. जहाँ गलती रेलवे की हो तो भला यात्री उसे क्यों भुगते. सहारनपुर की अदालत ने यात्री के हक़ में फैसला सुनाकर उन्हें न्याय दिलवाया और उनके रूपए वापस लौटाए.

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