पीएम मोदी ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए 3 मई तक लॉकडाउन लागू किया है. वही, कोरोना ने रेलवे को कई ऐसे सबक सिखाए हैं जिनका असर लंबे समय तक रहेगा. लॉकडाउन से रेलवे को इतनी चोट लगी है कि उबरना मुश्किल होगा. इसके लिए उसे अपने फैसलों और तरीकों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है. कोरोना के बाद रेलवे पहले जैसी नहीं रहेगी.जी हां, कोरोना लॉकडाउन के कारण रेलवे को 15 से 20 हजार करोड़ रुपये की तगड़ी चपत लगी है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यात्री यातायात ठप पड़ने और माल यातायात आधा रह जाने के कारण लगभग रेलवे को लगभग 10 हजार करोड़ रुपये के राजस्व की क्षति हुई है. जबकि इतना ही नुकसान कारखानो में कोच, लोकोमोटिव व पहियों आदि का उत्पादन ठप पड़ने से हुआ है. ये स्थिति तब है जब रेलवे पहले से ही घाटे में थी. बीते वित्तीय वर्ष में 1.90 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले वो केवल 1.80 लाख करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित कर पाई थी और परिणामस्वरूप आपरेटिंग रेशियो 100 फीसद से ऊपर जाते-जाते बचा था.
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इस मामले को लेकर रेलवे बोर्ड के पूर्व अधिकारियों के अनुसार कोरोना के कारण चालू वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही हथौड़ा चल जाने से नए घाटे से उबरने की उम्मीद भी धूल-धूसरित हो गई है. यही नहीं, लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी लंबे अरसे तक सख्त नियम लागू रहने के चलते निकट भविष्य में भी रेल यातायात सामान्य होने की संभावना कम है. ऐसे में नुकसान की भरपाई और राजस्व बढ़ाने के लिए रेलवे को अभूतपूर्व उपाय अपनाने पड़ेंगे. पूर्व में लिए कुछ फैसलों पर उसे पुनर्विचार करना पड़ जाए.
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