लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के बीच रेलवे की बदइंतजामी के चलते यात्रियों का धैर्य जवाब देने लगा है. श्रमिक स्पेशल ट्रेनें कई -कई घंटे की देरी से अपने गंतव्य तक पहुंच रही है. अपने-अपने घर लौट रहे प्रवासी भूख-प्यास से तड़प रहे हैं. भीषण गर्मी ने परेशानी और बढ़ा दी है. हालात ये हैं कि जहां भी खाना और पानी दिखता है प्रवासी टूट पड़ते हैं.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सोमवार को महाराष्ट्र के पालघाट से बिहार शरीफ जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सफर कर रहे भूखे प्यासे कामगारों ने प्रयागराज छिवकी जंक्शन पर खाद्य सामग्री के पैकेट लूट लिए. स्टाल में तोड़फोड़ की. वहां से खान-पान का सारा सामान लूट लिया. अपने परिचितों को भोजन पहुंचाने आए लोगों से भी पैकेट झपट लिया. करीब 200 से ज्यादा यात्रियों ने देखते ही देखते साढ़े छह हजार लोगों की खाद्य सामग्री लूट ली. कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर ही ऐसा ही नजारा देखने को मिला. यहां केरल के पालक्कड़ से बेतिया (बिहार) जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन में पानी को लेकर लूटपाट हुई तो महाराष्ट्र के बांद्रा से मधुबनी (बिहार) जा रही ट्रेन में बंद, नमकीन और मठरी को लेकर झीना झपटी की गई. यह देश के अलग-अलग हिस्से में देखने का मिला है.
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इसके अलावा कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से रविवार रात 11 बजे से सोमवार दोपहर 3:30 बजे तक तकरीबन 85 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें गुजरीं. इस दौरान 17 खाली रैक और 2 स्पेशल ट्रेनों को भी गुजारा गया. लेटलतीफी तो तीन दिन पहले जैसी नहीं रही, लेकिन गर्मी में लोग प्यास और कोच के पंखा न चलने से परेशान नजर आए. बेतिया जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन सेंट्रल स्टेशन पहुंची तो पानी के लिए होड़ मच गई. रेलवे की ओर से पानी की बोतलों का वितरण कराने के साथ पाइप लगाकर कोच के भीतर ही लोगों को पानी उपलब्ध कराया गया. रेलवे ने यात्रियों के लिए 25-25 लंच पैकेट के तीन-तीन पैकेट बोगियों में डाले. इसे लेकर भी छीना झपटी हुई. किसी ने एक साथ चार पैकेट उठाए तो किसी को एक भी नहीं मिला.
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