कोरोना की काट खोजने में जुटे भारतीय वैज्ञानिक, शुरू की जीनोम सीक्‍वेंसिंग

कोरोना की काट खोजने में जुटे भारतीय वैज्ञानिक, शुरू की जीनोम सीक्‍वेंसिंग
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस की जीनोम सीक्‍वेंसिंग करने वाले दोनों संस्‍थानों का दावा है कि तीन से चार हफ्ते में 300 तक सैंपल जुटाने पर भारत में कोरोना के व्यवहार का आकलन जारी कर दिया जाएगा. हैदराबाद के सेंटर ऑफ सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के निदेशक डॉ. राकेश मिश्र ने बताया है कि जीनोम सीक्वेंसिंग के माध्यम से वायरस के विकास, बदलते स्वरूप, पैदा होने की जगह, खतरनाक स्‍वरूप जैसी महत्वपूर्ण चीजों को समझने में सहायता मिलेगी. 

इस काम में दिल्‍ली का जीनोमिक्स और इंटीग्रेटेड बायोलॉजी संस्थान सीसीएमबी का सहयोग कर रहा है. इससे समझा जा सकेगा कि भविष्य में वायरस के किस प्रकार से विकसित होगा और तब इसकी संरचना, प्रभाव कैसा होगा.  शोध के लिए संक्रमित मरीजों से वायरस के सैंपल लेकर सीक्वेंसिंग केंद्रों पर भेजे जा रहे हैं. पुणे के नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) से भी सैंपल पहुँचाने के लिए कहा गया है. बता दें कि NIV ने ही कोरोना वायरस के स्‍ट्रेन को अलग करने में सफलता प्राप्त की थी.

बताया जा रहा है कि इसके स्‍ट्रेन को अलग करने के बाद कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने में काफी मदद मिलेगी. डॉ. रोकेश मिश्रा के अनुसार, सटीक नतीजे हासिल करने के लिए कम से कम 300 सैंपल की आवश्यकता होती है. उन्होंने अनुमान लगाया कि अगले चार सप्ताह में इतने सैंपल एकत्रित कर लिए जाएंगे. इसके बाद इन नमूनों के आधार पर भारत में लोगों को संक्रमित कर रहे वायरस के व्यवहार की काफी जानकारियां पता लगाई जा सकेंगी.

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