भारतीय भारोत्तोलकों ने युवा विश्व चैम्पियनशिप में अपने नाम किए इतने पदक

भारतीय भारोत्तोलकों ने युवा विश्व चैम्पियनशिप में अपने नाम किए इतने पदक
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इंडिया की आकांक्षा किशोर व्यावरे (महिला, 40 किग्रा भार वर्ग) और विजय प्रजापति (पुरुष, 49 किग्रा भार वर्ग) ने मैक्सिको के लियोन में पुरुषों और महिलाओं के IWF युवा विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप 2022 में अपनी स्पर्धाओं में दूसरा स्थान अपने नाम कर लिया है। यह दोनों पदक प्रतियोगिता के शुरुआती दिन शनिवार को ही आए।  बता दें कि आकांक्षा ने कुल 127 किग्रा (59 किग्रा + 68 किग्रा) का भार उठा लिया, जबकि विजय 175 किग्रा (78 किग्रा + 97 किग्रा) उठाने में कामयाब हो गए। रिपोर्ट्स की माने तो आकांक्षा भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के ‘नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एनसीई, औरंगाबाद) और विजय इसके पटियाला इकाई के प्रशिक्षु भी है। 

भारतीय भारोत्तोलन संघ के अध्यक्ष सहदेव यादव ने यहां जारी बयान में बोला है कि  ‘मैं लियोन में 2022 IWF युवा विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप के बीच अच्छा प्रदर्शन करने के लिए सभी भारोत्तोलकों को बधाई देना चाह रहा हूँ और उन भारतीय कोचों के कोशिशों की सराहना करता हूं, जिन्होंने राष्ट्रीय शिविर में कम समय में एथलीटों को प्रशिक्षित किया है।'  बता दें कि गुवाहाटी में बीते दिनों आयोजित हुई एआईबीए यूथ विश्व चैम्पियनशिप में भारतीय खिलाड़ी अंकुशिता बोरो ने स्वर्ण पदक जीता है। बोरो मध्य असम के सोनितपुर शहर के मेघाई जारानी गांव की रहने वाली है, वह इस चैम्पियनशिप में लाइट वेल्टरवेट 64 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर काफी चर्चा में है, सबसे खास बात यह है कि 17 साल की इस खिलाड़ी ने कुछ साल पहले मुक्केबाजी करना छोड़ दिया था, जिसके बाद उन्होंने दोबारा रिंग में वापसी करते हुए इतिहास रच दिया।

उल्लेखनीय है कि अंकुशिता बोरो के स्वर्ण पदक जीतने पर शुक्रवार को केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने उन्हें 6।7 लाख रुपए का पुरस्कार दिया है और भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने भी उन्हें दो लाख रुपए का पुरस्कार दिया है। अंकुशिता ने अपने बारे में बताया कि ''जब मैंने 2012 में खेलना शुरू किया था, तब मैं सौभाग्यशाली थी की मुझे हर तरह की सुविधाएं मिलीं जिनमें त्रिदिब सर जैसे शानदार कोच भी मिले, लेकिन हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते चले गए। घर और केंद्र दोनों जगह प्रशासनिक कार्यप्रणाली में विवाद हुए, उस दौरान मेरी परीक्षा भी थी, मैंने तकरीबन छह महीनों के लिए अपने दस्तानों को हाथ नहीं लगाया, लेकिन मेरे परिवार को शुक्रिया, जिन्होंने मुझे प्रेरित किया और मुझे आत्मविश्वास दिलाया।''

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