देहरादून: बीते कुछ समय से भारत ओर नेपाल के रिश्तो में दूरियां अधिक बढ़ गई है. वही भारत-नेपाल के रिश्तों में दरार दोनों देशों के लिए ही ठीक नहीं है. रिश्ते बिगड़े तो इससे न सिर्फ एक देश को किन्तु, दोनों देशों को बहुत नुकसान होगा. भारत को जहां सीमा सुरक्षा बजट बढ़ाना होगा, वहीं नेपाल की अर्थ व्यवस्था पर इसका अच्छा खासा बड़ा प्रभाव पड़ेगा.
वही भौगोलिक, सांस्कृतिक और धार्मिक एकरूपता दोनों देशों को मैत्री संबंधों में बांधे हुए है. दोनों देशो के बीच में रोटी-बेटी के संबंध है. सीमा क्षेत्रों में होने वाले छुटपुट विवादों से अलग दोनों देशों के नागरिक आपस में दूरियां नहीं बढ़ाना चाहते हैं. प्राप्त मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत-नेपाल के मध्य मैत्री संबंध और मौजूदा तनाव पर नागरिकों से परिचर्चा की, तो वे बोले नेपाल हमारा दुश्मन नहीं मित्र राष्ट्र है. हमारी मित्रता तो दुनिया के समक्ष एक मिसाल है.
साथ ही मौजूदा तनाव राजनीतिक स्टंड है. जो आने वाले वक़्त में दूर हो जाएगा, और दोनों के मैत्री संबंध कायम रहेंगे. विकास के लिए दोनों को मैत्री संबंधों को तरफ ज्यादा प्रगाढ़ करना होगा. बिना पासपोर्ट के एक दूसरे देश में आवाजाही, रोटी-बेटी के रिश्ते, धार्मिक आस्था एवं कर्मकांडों का एक सा होना, सिर्फ भारत-नेपाल के मध्य ही संभव है. नेपाली नागरिकों का भारतीय सेना सेना में काम करना दुनिया में एक अनूठी मिसाल है. विकास के लिए दोनों को मैत्री संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करना होगा. साथ ही भारत ओर नेपाल के रिश्तो में दरार होने से केवल नुक्सान ही होना है.
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