दुनिया के नंबर-1 शतरंज खिलाड़ी बने भारत के 18 वर्षीय प्रग्गानंधा, विश्व चैंपियन कार्लसन को उनके ही घर में हराया

दुनिया के नंबर-1 शतरंज खिलाड़ी बने भारत के 18 वर्षीय प्रग्गानंधा, विश्व चैंपियन कार्लसन को उनके ही घर में हराया
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नई दिल्ली: भारतीय चेस ग्रैंडमास्टर प्रग्गानंधा रमेशबाबू ने दुनिया के नम्बर एक चेस ग्रैंड मास्टर मैग्नस कार्लसन को क्लासिक शतरंज खेल में करारी शिकस्त देकर इतिहास रच दिया है। 18 साल के प्रग्गानंधा ने यह कारनामा कार्लसन के ही घर यानी नॉर्वे में किया। इसी के साथ भारतीय शतरंज खिलाड़ी प्रग्गानंधा नॉर्वे चेस के इस टूर्नामेंट में शीर्ष पर पहुँच गए हैं।

बुधवार (29 मई, 2024) को नॉर्वे में 18 वर्षीय भारतीय ग्रांडमास्टर का मुकाबला काफी समय से दुनिया के नम्बर एक शतरंज ग्रैंडमास्टर रहे मैग्नस कार्लसन से हुआ। यह एक क्लासिक शतरंज मुकाबला था, जिसमें खिलाड़ियों को अपनी चालें चलने और सोचने का ज्यादा वक़्त दिया जाता है। इस मुकाबले को कार्लसन ने शुरु से ही आक्रामक तरीके से खेलने की कोशिश की। उन्होंने अपना खेल अटैकिंग रखा, ताकि दबाव में आकर प्रग्गानंधा गलत चालें चलें और कार्लसन बढ़त हासिल कर सके। लेकिन, ऐसा करना कार्लसन को ही महंगा पड़ गया। प्रग्गानंधा ने उनकी आक्रामकता का जवाब संयमित खेल से दिया।

कार्लसन के आक्रामक खेल को भांपते हुए भारतीय ग्रैंडमास्टर ने उन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने इसके लिए ज्यादा वक़्त लिया। कार्लसन ने जल्दी जल्दी आक्रामक चालें चली, वहीं प्रग्गानंधा ने अपनी चालें सोच समझ कर चलीं। तक़रीबन 18 चालों के बाद प्रग्गानंधा को अपनी जीत नज़र आने लगी। इस खेल के दौरान कार्लसन ने स्वीकार किया कि वह बेहद आक्रामकता से खेले जिससे उनकी शिकस्त हुई। वहीं, प्रग्गानंधा ने जीत के बाद भी इस खेल में की गई कुछ गलतियों की तरफ इशारा किया और बताया कि वह आगे इन्हें सुधारेंगे। प्रग्गानंधा इसी खेल के साथ नॉर्वे शतरंज के तीसरे चरण के बाद रैंकिंग में शीर्ष पर पहुँच गए।

इसी टूर्नामेंट में उनकी बहन वैशाली रमेशबाबू ने महिलाओं के खेल में ड्रा करवाने में कामयाब रहीं। वह भी महिलाओं की रैंकिंग में फ़िलहाल शीर्ष पर हैं। दोनों भाई बहनों की यह सफलता शतरंज के भारतीय प्रशंसकों के लिए गर्व की बात रही। प्रग्गानंधा भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर हैं और अभी महज 18 साल के हैं। उन्होंने इस उम्र में शतरंज की दुनिया में बहुत नाम कमाया है। उन्होंने छोटी सी उम्र से शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। चेन्नई में पले बढे प्रग्गानंधा के पिता एक बैंक कर्मचारी हैं, जबकि उनकी माँ नागालक्ष्मी ने दोनों के करियर को आगे बढ़ाने में सहयोग किया। उन्होंने इससे पहले अंडर-8 और अंडर 15 चैंपियनशिप में भी जीत दर्ज की है। प्रग्गानंधा भारत की ओर से शतरंज ओलंपियाड में भी हिस्सा ले चुके हैं। यहाँ उनकी टीम ने कांस्य पदक जीता था।

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