बीते काफी सालों से वैश्विक मंदी के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था काफी हद तक सुरक्षित रही है. 2001 और 2008 की वैश्विक सुस्ती में भी देश की जीडीपी विकास दर नकारात्मक नहीं रही. अब हालात जुदा हैं. इस स्थिति से उबरने के लिए आर्थिक विश्लेषक अलग-अलग माडल पेश कर रहे हैं. ग्लोबल स्ट्रैटजी एंड मैनेजमेंट कंसल्टेंसी के आर्थर डी लिटिल की रिपोर्ट सरमाउंटिंग द इनोनामिक चैलेंज आफ कोविड-19 में बताया गया है कि आने वाली तिमाहियों में भारत की अर्थव्यवस्था आगे कैसे बढ़ेगी.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस प्रारूप की संकल्पना के अनुसार 2020-21 की पहली तिमाही में विकास दर नीचे जाएगी फिर दूसरी तिमाही से ऊपर की ओर बढ़ना शुरू करेगी. सरकार की वित्तीय मदद का मजबूत असर दिखेगा. इससे मैन्युफैक्चरिंग और निर्माण क्षेत्रों को शुरुआत करने में मदद मिलेगी. विश्लेषण के अनुसार इस माडल में देश की जीडीपी 2020-21 में एक फीसद तक जाएगी फिर 2021-22 में 4.1 फीसद की दर से विकास करेगी.
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इसके अलावा तीन दुर्योगों के मिलन से इस मॉडल के रिकवरी का अनुमान लगाया जा रहा है. गर्मियों में कोविड-19 मामलों में वृद्धि, सर्दियों में इसका फिर से जोर पकड़ते हुए दिसंबर में पीक पर जाना और आगे सरकारी वित्तीय मदद कम हो जाने वाले तीनों कारकों के मिलने से डब्ल्यू आकार में रिकवरी का अनुमान है. इसमें 2020-21 की तीसरी तिमाही में वृद्धि दिख सकती है. इसके बाद लगातार पांच तिमाही में उतार-चढ़ाव के बाद 2021-22 में अंतिम रिकवरी तब संभव होगी जब वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी.
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