ढाका: बांग्लादेश में हिंदुओं पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा लगातार किए जा रहे हमलों के बीच भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ढाका के दौरे पर पहुंचे हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अगस्त में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव बढ़ा है। इस दौरे को दोनों देशों के लिए कूटनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है।
कहा जा रहा है कि विक्रम मिस्री अपनी यात्रा के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों का मुद्दा प्रमुखता से उठा सकते हैं। पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर बढ़ती हिंसा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा की है। भारत सरकार इस मुद्दे पर अपनी चिंता बांग्लादेश सरकार के सामने रख सकती है और वहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों पर चर्चा कर सकती है।
इसके अलावा, दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और अन्य मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में बदलाव आया है। इस पर बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने हाल ही में कहा था कि भारत को यह स्वीकार करना होगा कि अगस्त की घटना के बाद दोनों देशों के संबंध बदल गए हैं। उन्होंने कहा, "किसी भी समस्या को हल करने के लिए पहले समस्या के अस्तित्व को स्वीकार करना जरूरी है। हमें यह मानना होगा कि बदलाव हुआ है और आगे बढ़ने के लिए इसे सुलझाना होगा।" विदेश सचिव विक्रम मिस्री को हाल ही में केंद्र सरकार ने दो साल का सेवा विस्तार दिया है। पहले वे 30 नवंबर, 2024 को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन अब उन्हें 14 जुलाई, 2026 तक सेवा में बने रहने की मंजूरी दी गई है। यह कदम भारत की विदेश नीति को और अधिक मजबूती देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
भारत के विदेश सचिव का यह दौरा बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदमों को लेकर महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सवाल यह है कि क्या इस दौरे से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को रोकने में मदद मिलेगी? भारत और बांग्लादेश के बीच बदले संबंधों के बावजूद, यह देखना दिलचस्प होगा कि विक्रम मिस्री की पहल वहां अल्पसंख्यकों की स्थिति में कोई सुधार ला पाती है या नहीं। यह दौरा दोनों देशों के रिश्तों को बेहतर बनाने और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। अब यह देखना होगा कि इस यात्रा के नतीजे क्या आते हैं और बांग्लादेश सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।