श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के गांदरबल आतंकी हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। यह संगठन पिछले पांच वर्षों से कश्मीर में टारगेट किलिंग और बाहरी लोगों पर हमलों के लिए कुख्यात रहा है। इस बार TRF ने सिर्फ बाहरी लोगों को नहीं, बल्कि भारतीय सैन्य बलों की रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ज़ोजिला सुरंग परियोजना को निशाना बनाया है। यह सुरंग श्रीनगर से लद्दाख को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण परियोजना है, जो सैन्य बलों के आवागमन और आपूर्ति को सुगम बनाएगी।
इस हमले के बाद, TRF और जैश-ए-मोहम्मद के हिट स्क्वाड पीपल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (PAFF) ने बयान जारी किया है, जिसमें इन संगठनों ने इसे भारतीय सेना के हितों के खिलाफ करार दिया है। TRF का कहना है कि, भारत ने कश्मीर पर अवैध कब्जा कर रखा है, जो कि मुस्लिमों की जमीन है। TRF के ही एक मुखौटा संगठन PAFF ने अपने बयान में कहा कि यह परियोजना न केवल भारतीय सेना बल्कि उनके "मित्र" चीन के हितों के भी विपरीत है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि इन हमलों में पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी ISI की भूमिका है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीर में सक्रिय ये आतंकी संगठन अब केवल कश्मीरियों के नाम पर नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना के हितों की पूर्ति के लिए काम कर रहे हैं। इसके उदाहरण पठानकोट एयरबेस हमला, उरी हमला और जम्मू में सैन्य शिविरों पर हुए हमले हैं। इन हमलों की योजना किसी सैन्य अधिकारी ने तैयार की थी।
TRF के कमांडर सज्जाद गुल का नाम गांदरबल हमले के संदर्भ में सामने आया है। सज्जाद गुल श्रीनगर का रहने वाला है और कई हत्याओं में शामिल रहा है। उसने 2018 में पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या भी पाकिस्तान में रहकर करवाई थी। गृह मंत्रालय ने उसके खिलाफ नोटिस जारी किया है और उसके सिर पर 10 लाख का इनाम रखा गया है।
TRF के इस हमले और उसके दावों की तुलना इजराइल-हमास संघर्ष के दौरान हमास और हिजबुल्लाह द्वारा किए गए हमलों से की जा सकती है। हमास-हिजबुल्लाह की तरह, TRF ने भी कश्मीर को "मुस्लिमों की जमीन" बताते हुए भारत के अधिकार को अवैध ठहराया है। पिछले दिनों भारत में कुछ लोगों ने हमास के समर्थन में रैलियां निकाली थीं और उसके आतंकियों को "शहीद" तक कहा गया था। अब सवाल यह है कि क्या भारत के मुसलमान TRF के इस दावे का भी समर्थन करेंगे?
TRF के जिहादी, कश्मीर में निर्दोष लोगों की जान ले रहे हैं, और इसमें उन्हें स्थानीय लोगों की मदद मिलने की संभावना भी जताई जा रही है। इतनी सख्त सुरक्षा के बावजूद आतंकी हमलों का सफलतापूर्वक अंजाम दिया जाना, यह संकेत करता है कि आतंकियों को स्थानीय समर्थन मिल रहा है।
दोस्त ने ही उतारा शख्स को मौत के घाट, चौंकाने वाली है वजह
कश्मीर: आतंकियों ने एक और प्रवासी मजदूर को मारी गोली, क्या राजनेताओं का भाषण वजह?
यूपी उपचुनाव में अखिलेश बने बिग ब्रदर, सभी 9 सीटों पर चलेगी सपा की 'साईकिल'