मेलबर्न 1956 ओलिम्पिक में एतिहासिक चौथे स्थान पर रहने के दौरान इंडियन फुटबॉल की टीम अगुआई करने वाले पूर्व कप्तान समर ‘बद्रू’ बनर्जी का लंबी बीमारी के उपरांत शनिवार तड़के यहां देहांत हो गया है। वह 92 साल के थे। बनर्जी के परिवार में उनकी बहू है। ‘बद्रू दा’ के नाम से मशहूर बनर्जी अल्जाइमर, एजोटेमिया और उच्च रक्तचाप से संबंधित बीमारियों से पीड़ित थे। उन्हें कोरोना वायरस से पॉजिटिव पाए जाने के उपरांत 27 जुलाई को MR बांगर अस्पताल में भर्ती किया गया था।
मोहन बागान के सचिव देबाशीष दत्ता ने बोला है कि उनकी तबीयत बिगडऩे पर उन्हें राज्य के खेल मंत्री अरूप विश्वास की देखरेख में सरकारी SSKM हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने तड़के करीब 2 बजकर 10 मिनट पर आखिरी सांस ली। उन्होंने अपने शोक संदेश में बोला है- वह हमारे प्रिय ‘बद्रू दा’ थे और हमने उन्हें 2009 में मोहन बागान रत्न से नवाजा था। यह हमारे लिए एक और बड़ी क्षति है। उनके पार्थिव शरीर को क्लब में लाया गया जहां सदस्यों और प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
इंडियन फुटबॉल टीम ने अब तक तीन ओलिम्पिक में हिस्सा लिया है और बनर्जी के नेतृत्व वाली 1956 की टीम ने इन खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। तब इंडियन टीम कांस्य पदक के प्ले आफ में बुल्गारिया से 0-3 से हारकर चौथे स्थान पर थी। इस युग को भारतीय फुटबॉल का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है।
पहले दौर में वॉकओवर पाने के उपरांत सैयद अब्दुल रहीम के मार्गदर्शन में खेल रही टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 4-2 से मात दी। इस टीम में पीके बनर्जी, नेविल डिसूजा और जे ‘किट्टू’ कृष्णास्वामी भी रहे है। डिसूजा ने मैच में शानदार हैट्रिक लगाई। टीम अंतिम 4 चरण में यूगोस्लाविया से 1-4 से हारकर फाइनल में स्थान बनाने में विफल हो गई। मोहन बागान की अपने पहले डूरंड कप (1953), रोवर्स कप (1955) सहित कई ट्रॉफिया जीतने में सहायता करने वाले बनर्जी ने एक खिलाड़ी (1953, 1955) के रूप में 2 और कोच (1962) के रूप में एक बार संतोष ट्रॉफी भी जीती। वह इंडियन राष्ट्रीय टीम के चयनकर्ता भी रहे।
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