नई दिल्ली: भारत और इंडोनेशिया के बीच 450 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल डील जल्द ही फाइनल हो सकती है। रविवार को इंडोनेशिया के एक उच्चस्तरीय रक्षा प्रतिनिधिमंडल ने भारत के ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम की क्षमताओं पर एक प्रेजेंटेशन देखा। अगर यह डील होती है, तो इंडोनेशिया ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाला दूसरा ASEAN देश बन जाएगा। इससे पहले फिलीपींस ने इस अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम को खरीदा था।
इंडोनेशिया नेवी के चीफ मुहम्मद अली के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल भारत के ब्रह्मोस एयरोस्पेस मुख्यालय पहुंचा। यहां उन्होंने ब्रह्मोस के सीईओ जयतीर्थ आर. जोशी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल को ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत, तकनीकी क्षमताओं और रणनीतिक महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इसके साथ ही दोनों देशों ने रक्षा और रणनीति के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर गहन विचार-विमर्श किया। ब्रह्मोस मिसाइल, जो अपनी 290 किलोमीटर की रेंज और Mach 3 की तेज गति के लिए जानी जाती है, भारत की सशस्त्र सेनाओं की रीढ़ बन चुकी है। यह मिसाइल समुद्र और जमीन दोनों से दागी जा सकती है, जो इसे एक बहुमुखी और घातक हथियार बनाती है। भारतीय नौसेना और थल सेना इसका प्रभावी उपयोग कर रही हैं। ब्रह्मोस, भारत और रूस के तकनीकी सहयोग से विकसित, आज दुनिया की सबसे सटीक और शक्तिशाली मिसाइलों में से एक मानी जाती है।
इस डील पर चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबियांतो के बीच हुई बैठक का मुख्य बिंदु रही। राष्ट्रपति सुबियांतो, भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। इस अवसर पर दोनों नेताओं ने रक्षा और सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की। शनिवार को दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए रक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की प्रतिबद्धता जताई। इंडोनेशिया ने अपने घरेलू रक्षा निर्माण को बढ़ावा देने में भारत की भूमिका की सराहना की। द्विपक्षीय वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमने रक्षा निर्माण और आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने का निर्णय लिया है।”
इंडोनेशियाई प्रतिनिधिमंडल ने भारत के शिपयार्ड का भी दौरा किया, जहां उन्होंने इंडोनेशिया की नेवी और कोस्ट गार्ड के लिए युद्धपोत निर्माण की संभावनाओं का आकलन किया। भारत के युद्धपोत निर्माण में कुशलता और ब्रह्मोस मिसाइल के साथ यह साझेदारी इंडोनेशियाई नौसेना की क्षमताओं को और मजबूत करेगी। यह डील न केवल भारत-इंडोनेशिया रक्षा संबंधों को नया आयाम देगी, बल्कि भारत के लिए एक क्षेत्रीय रक्षा निर्यातक के रूप में खुद को स्थापित करने की दिशा में भी बड़ा कदम साबित होगी। इसके साथ, भारत अपने रक्षा उत्पादों को वैश्विक स्तर पर मजबूती से स्थापित करने की ओर अग्रसर है।
इस डील से दोनों देशों को रणनीतिक और आर्थिक लाभ मिलेगा। ब्रह्मोस मिसाइल इंडोनेशियाई सेना को मजबूत करेगी और साथ ही भारत के लिए यह अपनी रक्षा तकनीक के निर्यात को और अधिक बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर साबित होगा।