गौतमपुरा (इंदौर). दीपावली के अगले रोज शाम के समय गौतमपुरा का मैदान रणक्षेत्र में बदल जाता है, और आकाश में आग के गोले नजर आने लगते हैं. इसमें हर साल बड़ी संख्या में लोग घायल होते हैं. लेकिन इसकी परवाह न कटे हुए और वर्षों पुरानी परंपरा जीवित रखते हुए इंदौर के पास गौतमपुरा में हिंगोट युद्ध का आयोजन अपने चरम पर रहा.
दीपावली के अगले दिन यानि पड़वा पर गौतमपुरा के जांबाज तुर्रा और रुणजी के वीर कलंगी योद्धाओं के बीच बेहद जोखिम भरा हिंगोट युद्ध हुआ. शाम होते ही इन योद्धाओं ने एक-दूसरे पर हिंगोट बरसाना शुरू किए. हालांकि हर साल की तरह इस साल भी इसमें एक पुलिस जवान सहित 23 से ज्यादा लोग घायल हुए. एक की हालत गंभीर है जिसे इंदौर रैफर किया गया है.
गौतमपुरा के हिंगोट मैदान में गुरुवार को बड़ी संख्या में लोग जमा हुए. परंपरा के मुताबिक, हिंगोट युद्ध की शुरुआत होते ही दोनों ओर से हवाओं में हिंगोट छोड़े गए. कुछ ही देर में गौतमपुरा का आकाश आग के गोलों से भर गया. ये हिंगोट हवा में ठीक वैसे ही लंबाई में चलते हैं, जैसे राकेट ऊंचाई पर जाते हैं.
इस पारंपरिक युद्ध के लिए ये योद्धा काफी दिनों से तैयारियां करते हैं। हिंगोट युद्ध के दिन योद्धाओं ने अपने-अपने दल का निशान लिए हुए था। ये योद्धा एक दूसरे पर हिंगोट से निशाना लगा रहे थे. दोनों ही दलों के योद्धा किसी युद्ध की तरह ही एक-दूसरे पर हिंगोट से हमला कर रहे थे. जिला प्रशासन की मौजूदगी में ये पारंपरिक युद्ध सम्पन्न हुआ.
ऐसे बनता है हिंगोट
हिंगोट हिंगोरिया नामक पेड़ पर पैदा होता है जो नींबू के आकारनुमा होकर ऊपर से नारियल समान कठोर तथा अंदर से खोखला होता है. खासियत यह है कि हिंगोट फल सिर्फ देपालपुर इलाके में ही होता है. हिंगोट को हथियार बनाने के लिए फल को अंदर से खोखला कर दिया जाता है, फिर कई दिनों तक इसे सुखाया जाता है. इस फल के पूरी तरह सूखने के बाद इसके भीतर बारूद भरी जाती है. इसके बाद बड़े छेद को पीली मिट्टी से बंद कर और बारीक छेद पर बारूद की बत्ती लगा देते हैं. जिस पर आग को छुआते ही हिंगोट जल उठता है. यह कार्य एक माह पहले से शुरू हो जाता है.
ट्रस्टों के नए रजिस्ट्रेशन की अधिसूचना का मसौदा जारी
केरल हाईकोर्ट ने कहा, हर प्रेम विवाह 'लव जिहाद' नहीं
दिवाली की पूजा कर लौट रहे दो परिवारों की सड़क हादसे में मौत