न मिट्‌टी, न पत्थर, न लकड़ी... इंदौर के कलाकार ने स्क्रैप-मेटल से बनाई हनुमानजी की अनोखी प्रतिमा, इस शहर में होगी स्थापित

न मिट्‌टी, न पत्थर, न लकड़ी... इंदौर के कलाकार ने स्क्रैप-मेटल से बनाई हनुमानजी की अनोखी प्रतिमा, इस शहर में होगी स्थापित
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इंदौर: आज देशभर में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जा रहा है। प्रातः से ही हनुमानजी के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। तो आज हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर हम पूरी तरह से स्क्रैप-मेटल से बनी 8.5 फीट ऊंची एवं 350 किलोग्राम वजन वाली बजरंगबली जी की मूर्ति के बारे में बात करेंगे। इंदौर के एक कलाकार देवल वर्मा द्वारा बनाई गई यह मूर्ति अगले महीने गुजरात के गोधरा में स्थापित की जानी है। 

वही इस प्रतिमा के बारे में बात करते हुए देवल वर्मा ने कहा, 'हम बीते 7-8 वर्षों से स्क्रैप-मेटल आर्ट पर काम कर रहे हैं। स्क्रैप-मेटल से हम कलाकृतियां बनाते हैं। और ऑर्डर के मुताबिक प्रतिमा बनाते हैं। गोधरा से एक ऑर्डर आया था। आमतौर पर क्लायंट हमें जगह दिखाता है तथा सुझाव चाहता है कि वहां क्या होना चाहिए। उन्हें भगवान की एक प्रतिमा स्थापित करनी थी। वे हमसे जानना चाहते थे कि कौन सी प्रतिमा बननी चाहिए तथा किस प्रकार से बननी चाहिए। हमने उन्हें हनुमानजी की प्रतिमा सुझाई। फिर हमने हनुमानजी की प्रतिमा डिजाइन की।' आगे देवल वर्मा ने कहा कि, 'सबसे पहले तो यह बजरंगबली की प्रतिमा है तथा हम स्क्रैप से काम कर रहे हैं. मतलब बनानी तो स्क्रैप से ही थी. मगर यह ऐसा था, हम सामान्य तौर पर जो करते हैं उससे कुछ अलग करेंगे। यानी हम प्रतिमा को थोड़ा अलग बनाएंगे। हमने इसमें बहुत सारा पीतल और स्टेनलेस स्टील डाला है।'

डिज़ाइन बनाने में 2-3 महीने का समय लगा
'बजरंगबली जी की इस प्रतिमा को डिजाइन करने में हमें 2-3 महीने लगे। डिज़ाइन में प्रपोशन-डायमेंशन सेट किया। डिजाइन फाइनल होने के पश्चात् हमने मटेरियल की तलाश आरम्भ कर दी कि, कोन से मटेरियल से प्रतिमा बनाई जाए। स्क्रैप ढूंढने में बहुत वक़्त लगता है. प्रतिमा में पीतल की कड़ाही, प्लेट एवं स्टेनलेस स्टील के पाइप हैं। एसएस शीट भी लगी हुई हैं. कारों के स्प्रिंग, गियर बियरिंग अलग-अलग तरह के स्क्रैप से बनाई गई हैं।'

हनुमान चालीसा
हनुमानजी की प्रतिमा बनाने के लिए हमने हनुमान चालीसा का अनुवाद भी किया। उनकी विशेषताएं क्या हैं? जैसे, कांधे मूंज जनेऊ साजै।, यानी जनेऊ कैसे पहनाया जाता है। फिर कानों में कुंडल कैसे हैं। उस प्रकार की डिटेलिंग की गई है। कहा जाता है कि श्री राम जानकी बजरंगबली जी के सीने में बैठे हैं। तो हमने वैसा ही एक स्केच बनाया, उसे डिजिटल रूप से पीतल में उकेरा, एक पेंडेंट बनाया और उनकी छाती पर लगा दिया। इस प्रकार की डिटेलिंग की गई है। वही सबसे बड़ी चुनौती हनुमानजी की प्रतिमा बनाने में सामने यह आती है कि, बजरंगबली जी का शरीर एकदम स्वस्थ है। हनुमानजी शक्तिशाली हैं. इसके साथ ही हनुमानजी का चेहरा अत्यंत सौम्य है। चेहरे पर वह कोमलता एवं सौम्यता लाना बहुत बड़ी चुनौती थी।

कैसे मटेरियल का किया गया उपयोग?
स्टेनलेस स्टील, पीतल, माइल्ड स्टील का इस्तेमाल किया गया है। जैसे की पीतल की प्लेट है तो इसे कहां उपयोग करना है, कैसे उपयोग करना है, उस प्रकार से काटकर फिट की गई है।

मूर्ति बनाने में कितना लगा समय 
बजरंगबली जी की इस प्रतिमा को बनाने में कुल 1 वर्ष का वक्र लगा। डिज़ाइन से लेकर मटेरियल संग्रह से लेकर अंतिम निर्माण तक। ऑर्डर पिछले फरवरी में हमारे पास आया तथा प्रतिमा इस वर्ष मार्च में बनकर तैयार हो गई।

प्रतिमा बनाने में कितने लोगों ने काम किया?
इस प्रतिमा को बनाने में हमारी 4 लोगों की टीम ने काम किया। मैं देवल वर्मा, चीफ मैकेनिकल इंजीनियर फैजान खान, चीफ वेल्डर राजेश झा और हेल्पर अर्जुन। यह प्रतिमा इंदौर में हमारे डिजाइन स्टूडियो में बनाई गई है।

इसे कहां और कब स्थापित किया जाएगा?
यह प्रतिमा गोधरा में बस स्टैंड के पास श्री सार्वत रेस्तरां में स्थापित की जानी है। इस प्रतिमा को बनाते वक़्त सबसे बड़ी चुनौती हनुमानजी के चेहरे पर भाव लाना था। क्योंकि, स्क्रैप सामग्री से कुछ बनाना तथा उसके चेहरे पर भाव लाना सबसे चुनौतीपूर्ण काम है। जब लोग इस मूर्ति को देखते हैं तो उन्हें ऐसा लगता है कि बजरंगबली जी उन्हें देख रहे हैं। लोगों ने हमें ऐसा बताया है. प्रीव्यू के चलते कई लोग बजरंगबली जी की प्रतिमा के सामने रो पड़े थे। हनुमानजी की दाढ़ी में स्टेनलेस स्टील के तार लगे हैं। गदा पीतल के हुण्डा से बनी होती है। मुकुट पर लोटा है. नीचे पीतल के गिलास हैं। मुकुट के पीछे सिलाई मशीन का पहिया है।

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