इंदौर: कोरोना वायरस के चलते देश भर में लागू हुए लॉकडाउन के दौरान लोगों के मन में फल और सब्जियों को लेकर सबसे ज्यादा डर बैठाया गया था। लोग फल सब्जियां खरीदने से डर रहे थे, कि कहीं उनमे कोरोना वायरस ना हो। कई स्थानों पर तो जिला प्रशासन ने संदिग्ध खाद सामग्री को जब्त कर फिंकवा भी दिया था, किन्तु अब इंदौर स्थित अरबिंदो मेडिकल कॉलेज से जुड़े डॉक्टर्स ने रिसर्च के बाद दावा किया है कि कोरोना सब्जियों और फलों से नहीं फैलता।
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अजय सोडानी, डॉ. राहुल जैन, और डॉ. कपिल तैलंग ने द्वारा ये रिसर्च की गई है, जो इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कम्यूनिटी मेडिसिन में भी प्रकाशित हुई है। डॉ. सोडानी के अनुसार, रिसर्च के लिए अस्पताल में भर्ती अलग-अलग उम्र के 10 संक्रमित मरीजों के साथ प्रयोग किए गए। इनमें पांच महिलाएं थीं। इनमें एक मरीज ऐसा भी था, जिसमें कोरोना के लक्षण नहीं थे, जबकि अन्य मरीजों को बुखार, जुकाम और सांस लेने जैसी समस्याएं थी। ये सभी वे मरीज थे, जिनकी रिपोर्ट दो से पांच दिन पहले ही पॉजिटिव आई थी। रिसर्च के लिए सब्जी-फल बिक्री वाले इलाकों जैसा वातावरण बनाया गया। डॉ. सोडानी ने बताया कि इन मरीजों के सामने फलों और सब्जियों से भरी एक ट्रे 30 मिनट तक रखी गई। मरीजों के मास्क हटवाए और हाथों में खांसने के लिए कहा गया। इसके बाद उनके हाथ में फल-सब्जियां रख दीं। कुछ मरीजों ने फल-सब्जियों को अपने मुंंह में भी रखा। मरीजों से ये प्रक्रिया पांच-पांच बार करवाई गयी। इसके बाद इन फल-सब्जियों को ट्रे में रखकर एक घंटे के लिए छत पर रखा गया, जहां प्राकृतिक हवा थी, लेकिन वहां सूर्य की रोशनी सीधी नहीं आ रही थी। एक घंटे बाद फल-सब्जियों की सतह से नमूने लिए और इन्हें RTPCR जांच के लिए भेजा। जांच में किसी भी फल या सब्जी में संक्रमण नहीं पाया गया। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी करवाई गई।
आपको बता दें की इससे पहले विश्व स्वस्थ्य संगठन (WHO) और सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) जैसे संगठन भी कह चुके hain कि सब्जी या फलों के कारण संक्रमण नहीं फैलता। इसके बाद भी लोगों ने डर के कारण सब्जी-फल खरीदना बंद कर दिया। लोखड़ौन में आलू-प्याज और अन्य चीज़ें खाकर काम चलाया। इसका असर ये हुआ कि शुगर समेत दूसरी बीमारियों के मरीजों को अन्य परेशानियों ने घेर लिया। अरबिंदो अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अजय सोडानी ने बताया कि फल-सब्जी के संक्रमण की बातें सामने आईं तो हमने इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण जानने का प्रयास किया। उसी कड़ी में यह रिसर्च की गई। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की गई है।
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