कोरोना के एल-स्ट्रेन टाइप वायरस से जल्दी हो जाती है मौत, जानिए एल-स्ट्रेन और एस-स्ट्रेन में अंतर

कोरोना के एल-स्ट्रेन टाइप वायरस से जल्दी हो जाती है मौत, जानिए एल-स्ट्रेन और एस-स्ट्रेन में अंतर
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भारत में कोरोना संक्रमण लगातार फैलता चला जा रहा है और इसको लेकर नया अध्ययन हाल ही में सामने आ गया है. जी दरअसल इस पर चर्चा करने वाले विशेषज्ञों के अनुसार, इंदौर-गुजरात में मौत के बढ़ते आंकड़ों की वजह कोरोना का एल-स्ट्रेन वायरस हो सकता है. आप सभी जानते ही होंगे अब तक कोरोना वायरस के कारण इंदौर में 60 मौतें हुई हैं और गुजरात में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में गुजरात के बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर के निदेशक जीसी जोशी ने बताया- ''हमने कोरोना की संरचना की डीकोडिंग की है, जिसमें उसके तीन म्यूटेशन मिले हैं. गुजरात में फैला वायरस एल-स्ट्रेन टाइप हो सकता है. इसी वायरस से वुहान में लोग तेजी से मर रहे थे.'' वहीं इस के अलावा इंदौर के एमजीएम कॉलेज की डीन ज्योति बिंदल ने कहा- 'हमने नमूने जांच के लिए एनआईवी पुणे भेजेंगे, ताकि एल-स्ट्रेन की पुष्टि हो सके.' आइए आपको समझाते हैं एल-स्ट्रेन और एस-स्ट्रेन में अंतर.

कोरोना के एल-स्ट्रेन और एस-स्ट्रेन में अंतर -

* अब तक देश में कोरोनावायरस के तीन स्ट्रेन पता चले हैं. इन स्ट्रेंस में दो सबसे घातक स्ट्रेन हैं, जिनके नाम है एल-स्ट्रेन और एस-स्ट्रेन. आपको बता दें कि वुहान से आया वायरस एल-स्ट्रेन है और यही ज्यादा घातक है क्योंकि इससे संक्रमित होने वाले मरीज की मौत जल्दी हो जाती है.


* बात करें एस-स्ट्रेन की तो इसका वायरस एल-स्ट्रेन के म्युटेशन से ही बना है लेकिन यह कम घातक है. जी दरअसल केरल में अधिकांश मरीज दुबई से आए थे और वहां एस-स्ट्रेन है. इसी वजह से केरल में कम जानें गईं.


* गुजरात की बात करें तो यहाँ अमेरिका से आने वाले लोगों की संख्या अधिक थी, जहां पर एल-स्ट्रेन है और इस कारण से यहाँ पर मौतों का आंकड़ा बढ़ गया है.


* जी दरअसल देश में चीन, अमेरिका और यूरोप के स्ट्रेन आए हैं और यूरोप में फैला वायरस अमेरिका से थोड़ा कम घातक कहा गया है. वहीं विशेषज्ञों ने साफ कर दिया है कि कोराेना के एल-स्ट्रेन और एस-स्ट्रेन में ज्यादा फर्क नहीं समझना चाहिए.


* उनके अनुसार एल-स्ट्रेन ज्यादा घातक है, लेकिन एस-स्ट्रेन भी जानलेवा ही है. ऐसे में यदि किसी व्यक्ति को पहले से कोई बीमारी हो तो एस-स्ट्रेन भी एल-स्ट्रेन जैसा घातक साबित हो सकता है.

 

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