इंदौर: इंदौर स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश की शान बन गया है, पिछले साल देश के सबसे स्वच्छ शहरों में शुमार इंदौर ने एक और उपलब्धि हासिल की है. इंदौर के ट्रेंचिंग ग्राउंड (जहां कचरा एकत्र किया जाता है) को पर्यावरणीय सुरक्षा पैमानों पर खरा उतरने, गुणवत्ता प्रबंधन और स्वास्थ्य व सुरक्षा प्रबंधों के लिए तीन आइएसओ (इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर स्टेंडर्डाइजेशन) प्रमाण पत्र के साथ यह देश का पहला ट्रेंचिंग ग्राउंड बन गया है. इंदौर की सफलता के मुख्य कारण.
एक शहर के पास देवगुराड़िया इलाके में 146 एकड़ में फैले ग्राउंड में हर दिन निकलने वाले करीब 1100 टन कचरे का निपटारा किया जाता है. ट्रेंचिंग ग्राउंड की आधारभूत सुविधाओं जैसे प्लांट, मशीनरी, सड़क और बिल्डिंग आदि को व्यवस्थित किया गया, इसके अलावा शहर से निकलने वाले मलबे और वेस्ट मटेरियल से ईंट-पेवर ब्लॉक बनाने का प्लांट भी करीब ढाई करोड़ की लागत से स्थापित किया गया है. ट्रेंचिंग ग्राउंड में पड़ा पुराना 12-15 लाख मीट्रिक टन कचरे का धीरे-धीरे निपटान किया जा रहा है, पुराने कचरे की मिट्टी के इस्तेमाल से ग्राउंड पर आठ बगीचे बनाए गए हैं.
हर वार्ड में कचरा बीनने वाले 500 लोगों को ट्रेंचिंग ग्राउंड पर काम दिया गया,उनके मेडिकल चेकअप और जरूरी टीकों का भी इंतजाम भी किया गया है.
शहर में 172 पब्लिक और 125 कम्युनिटी टॉयलेट, 232 मूत्रालय बनाए गए हैं.
नया सिस्टम बनने के बाद उसके संचालन पर सालाना 130 से 135 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं, इनमें अकेले 90 करोड़ रुपए तो 6500 सफाईकर्मियों की तनख्वाह के हैं.
शहर में 3000 से ज्यादा लिटरबिन लगाए गए हैं.
रात में 12 मशीनों की मदद से रोज 500 किमीलंबाई में सड़कें साफ की जाती हैं, कचरा कलेक्शन के लिए 525 गाड़ियां दौड़ रही हैं.
स्वचालित मशीनों से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में कचरे से बिजली पैदा करने की योजना.
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