मध्य प्रदेश के इंदौर में लगातार मामले बढ़ते जा रहे है. वहीं शहर में कोरोना संक्रमितों के बढ़ते मामलों के बावजूद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही जारी है. सराफा में रुके तीन बंगाली कारीगरों में कोरोना के लक्षण मिलने के बाद भी तीन अस्पतालों ने भर्ती करने से इन्कार कर दिया. तीनों लौटकर 54 साथियों के साथ रहने लगे. वहीं, गुरुवार रात रिपोर्ट आई तो शुक्रवार दोपहर कोविड अस्पताल भिजवाया गया.
बता दें की वाकया सराफा थाना के पास स्थित मोरसली गली का है. एक इमारत में कोलकाता, हुबली और चौबीस परगना के कई युवक रहते हैं. सभी सराफा में सोना-चांदी के जेवरात बनाते हैं. पांच दिन पूर्व स्क्रीनिंग करने वाला दल इस इमारत में पहुंचा तो तीन लोगों में कोरोना के लक्षण दिखे. प्रारंभिक जांच में डॉक्टर ने कोरोना की आशंका जताई और कहा कि तत्काल कोविड अस्पताल में भर्ती होना चाहिए. एंबुलेंस उन्हें इंडेक्स मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंची, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि सर्दी-खांसी तो होती रहती है. इसके बाद तीनों सुयश और एमवाय अस्पताल आए, लेकिन यहां भी भर्ती करने से इन्कार कर दिया गया. घंटों भटकने के बाद तीनों घर लौट आए. 54 अन्य कारीगर भी इसी इमारत में रहते हैं. संक्रमित कारीगर उनके साथ ही रहने लगे. गुरुवार रात आई रिपोर्ट में दो लोगों को पॉजिटिव बताया गया है. इसके बाद स्वास्थ्य व पुलिस अफसरों का दल पहुंचा. पॉजिटिव लोगों को कोविड अस्पताल भिजवाया गया, जबकि अन्य को क्वारंटाइन सेंटर भिजवा दिया गया है.
जानकारी के लिए बता दें की सराफा में करीब 11 हजार बंगाली कारीगर काम करते हैं. कुछ कारीगर ठेकेदार के अधीन हैं और कुछ व्यापारियों के पास आभूषण बनाते हैं. कई लोग सराफा, मोरसली गली, जूना रिसाला, एरोड्रम, कबूतर खाना, पल्हर नगर में किराए से रहते हैं. ज्यादातर लोग समूह में रहते हैं और आपस में रिश्तेदार भी हैं. दो लोगों में संक्रमण मिलने के बाद सभी की जांच आवश्यक हो गई है.
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