कोरोना के उपचार में 'वरदान' साबित हुई DRDO की 2-DG, एक ही डोज़ में 75 से 95 पहुंचा ऑक्सीजन लेवल

कोरोना के उपचार में 'वरदान' साबित हुई DRDO की 2-DG, एक ही डोज़ में 75 से 95 पहुंचा ऑक्सीजन लेवल
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कोरोना महामारी के कारण देश-दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। इस महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक, इसके उपचार के लिए तमाम तरह की दवाओं का उपयोग किया गया, शुरू में एड्स के इलाज में दी जाने वाली मेडिसिन जुडोवीडिन का भी इस्तेमाल हुआ, इसके बाद फिर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, रेमडेसिवीर इंजेक्शन आदि भी प्रयोग किए गए, लेकिन नतीजा आशानुरूप न निकल सका। इसके बाद पूरी आस ऑक्सीजन सिलिंडर, वेंटीलेटर पर आकर टिक गई, लेकिन कालाबाज़ारी और कुछ अस्पतालों की मनमानी के चलते उसका प्रबंध कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं थी। हालांकि, प्लाज़्मा को लेकर कुछ उम्मीद जगी, मगर फिर प्लाज़्मा थेरेपी के बेअसर होने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने उसे भी कोरोना के इलाज से बाहर कर दिया है। इसके बाद जरूर भारत को वैक्सीन के रूप में कोरोना को मात देने का एक कारगर हथियार मिला, किन्तु 135 करोड़ लोगों की आबादी वाले देश का टीकाकरण करना, किसी भगीरथ प्रयास से कम नहीं था।

हालांकि, टीकाकरण का कार्य जारी है, किन्तु इस बीच देश की रक्षा करने के लिए वही संस्था आगे आई, जो तूफ़ान आने पर, बाढ़ से तबाही मचने पर, बॉर्डर पर संग्राम मचने पर सबसे आगे खड़ी होती है, वो है भारतीय सेना की एक इकाई, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी (DRDO।  DRDO ने वैसे तो इस महामारी में युद्धस्तर पर काम करके मरीजों के लिए कई अस्पताल खड़े किए हैं और अन्य सहायताएं भी दी हैं, लेकिन इन सबमे सबसे अहम है DRDO की वो दवा (2-DG) जो आज कोरोना मरीजों के लिए 'संजीवनी' साबित हो रही है। आज हम आपको एक ऐसी कोरोना पेशेंट के बारे में बताने जा रहे हैं, जो लगभग पिछले डेढ़ महीने से संक्रमण से जूझ रहीं थीं, उनका ऑक्सीजन स्तर लगातार गिरता जा रहा था।

मध्य प्रदेश के इंदौर की 70 वर्षीय श्रीमती संतोष गोयल को 14 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव आने के बाद CHI अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, कुछ दिनों तक अस्पताल में संक्रमण से जूझते हुए अलग- अलग इंजेक्शन उपचार लेने के बाद, उनकी कोविड-19 रिपोर्ट मई के प्रथम सप्ताह में रिपोर्ट नेगेटिव आई और उन्हें 14 मई को डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन घर पहुंचकर श्रीमती गोयल को पुनः सांस लेने में गहन समस्या होने लगी, जिसके बाद उन्हें वापस पोस्ट कोविड मरीज के तौर पर CHL अस्पताल में भर्ती कराया गया, उनका ऑक्सीजन स्तर कम होने के कारण उन्हें 30 लीटर वाले ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। किन्तु इसके बाद भी उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा था, तमाम कोशिशों के बाद भी हल न मिलता देख, श्रीमती गोयल के परिजन भी बेहद चिंतित हो गए थे। 38 दिन से अधिक गुजर चुके थे और श्रीमती गोयल का ऑक्सीजन स्तर 75 से 80 के इर्द-गिर्द ही घूम रहा था, इसी बीच कहीं से उनके परिजनों को DRDO द्वारा बनाई गई दवा के बारे में पता चला। परिजनों ने गंभीर स्थिति को देखते हुए केस स्टडी के तौर पर यह मामला DRDO के पास भेजा और उनसे 2 DG मेडिसिन देने की गुजारिश की।

तत्पश्चात दिल्ली DRDO से गोयल परिवार को 2-DG मेडिसिन के 4 सैशे दिए गए, जब इसका पहला सैशे गत रविवार (23 मई) को श्रीमती गोयल को दिया गया तो इसके कुछ ही घंटों बाद उनकी सेहत में चमत्कारी परिवर्तन नज़र आया। पिछले एक महीने से बेड पर लेटी श्रीमती गोयल की सेहत में अभूतपूर्ण बदलाव देखने को मिला, जब डॉक्टरों ने उनका ऑक्सीजन स्तर चेक किया तो वो भी दंग रह गए, केवल एक ही खुराक से उनका ऑक्सीजन स्तर 94-95 तक पहुँच चुका था, जो किसी स्वस्थ मनुष्य का होता है। डॉक्टरों के साथ-साथ गोयल परिवार की भी मेहनत रंग लाइ और उन्होंने इस मेडिसिन के लिए DRDO और भारत सरकार का धन्यवाद् किया।


 

बता दें कि 70 वर्षीय श्रीमती गोयल, पहले ब्रेस्ट कैंसर, हृदय रोग जैसी बीमारी से भी लड़ चुकी हैं, मौजूदा समय में भी उन्हें हार्ट पम्पिंग और आर्थराइटिस, शुगर, बीपी, हाइपर टेंशन की समस्या है। लेकिन कोरोना जैसी महामारी की चपेट में आने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सकारात्मक सोच के साथ संक्रमण का मुकाबला करती रहीं, आखिरकार जब उन्हें अपनी सेहत में सुधार महसूस हुआ तो उन्होंने अपने बेड पर बैठकर DRDO और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद कहा है। आज श्रीमती गोयल देश के उन तमाम लोगों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं, जो संक्रमण का पता चलने के बाद अस्पतालों से कूदकर अपनी जान दे रहे हैं, अपने परिवार को अकेला छोड़ दे रहे हैं। बीमारी से लड़ने की बजाए उसके सामने घुटने टेक दे रहे हैं। इन लोगों के लिए आज एक सन्देश स्पष्ट है कि, महामारी कितनी भी भयानक क्यों न हो, उससे न केवल लड़ा जा सकता है, बल्कि हिम्मत और परिवार के सपोर्ट से जीता भी जा सकता है।

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