![भिखारी को भीख देने वाले के खिलाफ इंदौर पुलिस ने दर्ज की FIR, अब होगा एक्शन..!](https://media.newstracklive.com/uploads/national-news/Jan/25/big_thumb/begger_6794824c9e539.jpg)
इंदौर: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में भिखारी को भीख देने के मामले में एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इंदौर प्रशासन शहर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए कड़े कदम उठा रहा है और इसके लिए पहले ही एक आदेश जारी किया जा चुका है। इस आदेश के तहत भीख देने और लेने, दोनों को गैरकानूनी करार दिया गया है। प्रशासन ने साफ किया है कि अगर कोई भी व्यक्ति शहर में किसी को भीख देता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इंदौर देश के उन 10 शहरों में शामिल है, जिन्हें भिखारी मुक्त बनाने के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत चुना है। इसके तहत इंदौर प्रशासन लगातार प्रयासरत है। दिसंबर 2024 से इस दिशा में जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। प्रशासन ने दिसंबर में एक आदेश जारी किया था, जिसमें भीख देने और लेने पर रोक लगाने और आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई थी।
इंदौर पुलिस ने भीख देने और लेने के मामलों में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं। पहली एफआईआर एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ है, जिसने भिखारी को भीख दी थी। वहीं, दूसरी एफआईआर एक महिला भिखारी के खिलाफ दर्ज की गई है, जिसे भीख दी गई थी। यह कार्रवाई भिक्षावृत्ति उन्मूलन दल के अधिकारी की शिकायत पर की गई है। पुलिस ने दोनों एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 223 के तहत दर्ज की है।
धारा 223 के तहत सरकारी आदेश का उल्लंघन करने पर एक साल की सजा, 2500 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया है। इंदौर के जिलाधिकारी आशीष सिंह ने जानकारी दी कि प्रशासन ने हाल ही में भीख मंगवाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। साथ ही, कई भिखारियों का पुनर्वास भी किया गया है। उन्होंने शहरवासियों से अपील की है कि वे भिखारियों को भीख न दें और इस समस्या को खत्म करने में प्रशासन का सहयोग करें।
1 जनवरी 2025 से लागू इस आदेश के बाद भी इंदौर प्रशासन को इस अभियान में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भीख मांगने और देने की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन कड़े कदम उठा रहा है, लेकिन सामाजिक जागरूकता और सामूहिक प्रयास भी जरूरी हैं। प्रशासन की यह पहल न केवल शहर को भिखारी मुक्त बनाने का प्रयास है, बल्कि यह उन लोगों के लिए पुनर्वास का भी मौका है, जो मजबूरी में यह जीवन जी रहे हैं। इंदौर का यह मॉडल देश के अन्य शहरों के लिए प्रेरणा बन सकता है, बशर्ते इसमें समाज का सहयोग भी शामिल हो।