नई दिल्ली : छोटे खुदरा व्यापारियों के संगठन कैट ने सरकार से GST की के तहत विभिन्न वस्तुओं की दर पर पुनर्विचार करने की मांग की है. संगठन का कहना है कि जीएसटी में बहुत सी वस्तुओं को वैट प्रणाली की तुलना में उंची दरों के दायरे में रखा है.इसलिए व्यापारियों की इन चिंताओं को दूर करने की जरूरत है.
इस बारे में कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी की विभिन्न कर दरों में शामिल वस्तुओं के प्रभाव का अध्ययन करना बेहद जरूरी है, क्योंकि जीएसटी में ना केवल सामान पर दिया हुआ कर, बल्कि व्यापारिक उद्देश्य से ली गई सेवाओं पर दिए कर का भी पूरा इनपुट क्रेडिट मिलेगा.वहीं दूसरी ओर दूसरे राज्य से खरीदे माल पर भी दिए हुए टैक्स का इनपुट क्रेडिट मिलेगा. जबकि वर्तमान वैट प्रणाली में यह लाभ नहीं मिलता है. इन लाभों को ध्यान में रखते हुए जीएसटी की दरों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.
बता दें कि कैट ने कई कर विसंगतियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि कई वस्तुएं कम कर के दायरे में हैं, जो जीएसटी में ज्यादा कर दर दायरे में आ जाएंगी.मिसाल के तौर पर वाहनों के कलपुर्जे पर अभी पांच प्रतिशत कर लगता है, जो जीएसटी में बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दिया गया है. भवन निर्माण के सामान सीमेंट, बिल्डर हार्डवेयर, लोहा इत्यादि पर 18-28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा. इसी तरह खाद्य पदार्थों हल्दी, धनिया, लाल मिर्च, जीरा इत्यादि कर मुक्त होने चाहिए, लेकिन उन पर पांच प्रतिशत कर रखा गया है. हालांकि दूध कर मुक्त है लेकिन घी, मक्खन पर 12 प्रतिशत कर लगाया गया है.
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