प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी 7 नवंबर को शिशु सुरक्षा दिवस सेलिब्रेट किया जा रहा है. इस दिवस को सेलिब्रेट का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोगों को शिशुओं की सुरक्षा से संबंधित जागरूकता फैलाना और शिशुओं की उचित देखभाल कर के उनके जीवन की रक्षा करना है दुनियाभर में नवजात शिशुओं की उचित सुरक्षा ना होने तथा सही देखभाल ना होने की वजह से काल के गाल में समा गए है.
जहां इस बात का पता चला है कि भारतवर्ष में शिशुओं के मृत्यु दर कई देशों की अपेक्षा अधिक है स्वास्थ्य संबंधी देखभाल ना होने की वजह से समस्या और भी विकराल हो जाती है इंडिया में आने वाली सरकारों ने इस संदर्भ में कई कार्यक्रमों और योजनाओं को जनहित में लागू करके शिशुओं की मृत्युदर को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा चुके.
लेकिन जनसंख्या के बढ़ते बोझ व बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव तथा जागरूकता की कमी की वजह शिशुओं की मृत्यु दर में अपेक्षित कमी नहीं आई है बच्चे के लिए मां का दूध अमृत के समान है लेकिन स्तनपान ना कराना आज महिलाओं का एक फैशन बनता जा रहा है जिसके कारण नवजात शिशु में असमय काल के गाल में समा जाते हैं सही पोषण के अभाव में भी बच्चे दम तोड़ देते हैं कई बार तो एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण अस्पताल तक न पहुंच पाने के कारण भी बच्चे बीच रास्ते में जिंदगी की जंग हार जाते हैं वहीं ग्रामीण इलाकों में प्रशिक्षित दाइयो के अभाव के कारण भी कई प्रकार की समस्याएं जन्म ले लेती है.
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