कोलकाता: उत्तर प्रदेश में सीएम योगी सरकार ने सावन के महीने में काँवड़ यात्रा के मार्ग में पड़ने वाले सभी दुकानों-ठेलों के संबंध में आदेश जारी किया है कि वे अपनी दूकान के साथ ही डिस्प्ले बोर्ड पर उनके मालिक का नाम भी लिखें। ये फैसला सभी संप्रदाय के दुकानदारों के लिए है, ताकि किसी प्रकार की आवांछित घटना ना हो और कानून व्यवस्था बरक़रार रहे। हालाँकि, कुछ इस्लामवादियों, मुस्लिम नेताओं और विपक्षी दलों ने इस आदेश को सिर्फ मुस्लिमों से जोड़ते हुए इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की है। पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता और ममता सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम ने भी इस पर आपत्ति जताई है।
सीएम ममता के मंत्री फिरहाद हकीम ने योगी सरकार के फैसले को गलत करार देते हुए कहा है कि यूपी में अन्याय हो रहा है। उन्होंने कहा कि कौन हिन्दू है और कौन मुस्लिम, ये हम क्यों लगाएँगे? उन्होंने कहा कि इंसान, इंसान की सेवा करेंगे। फिरहाद हकीम ने कहा कि कोई फल बेच रहा है तो वो इंसान है, जिसका मन करेगा, वो उस दूकान से जाकर फल खरीदेगा। फिरहाद हाकिम ने कहा कि ‘इस धर्म का खरीदेंगे, इस धर्म का नहीं खरीदेंगे’, ये सरासर गलत है। उन्होंने इसे भारत की संस्कृति पर प्रहार बताया है।
हालाँकि, आपको बता दें कि इन्ही फिरहाद हाकिम ने 2 हफ्ते पहले सार्वजनिक रूप से तमाम गैर मुस्लिमों को उन्हें इस्लाम कबूल करने की पेशकश की थी। उन्होंने अपने समुदाय के लोगों के सामने भाषण देते हुए कहा था कि, “जो लोग इस्लाम में पैदा नहीं हुए, वे बदकिस्मत हैं। अगर हम उन्हें दावत (इस्लाम कबूल करने का निमंत्रण) दे सकें और उनमें ईमान (इस्लाम के प्रति निष्ठा) ला सकें, तो हम अल्लाह को खुश कर देंगे।” उन्होंने कहा था कि, "हमें गैर-मुसलमानों के बीच इस्लाम का प्रसार करना चाहिए। अगर हम किसी को इस्लाम के रास्ते पर ला सकते हैं, तो हम धर्म के प्रसार को सुनिश्चित करके सच्चे मुसलमान साबित होंगे।" ममता सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम ने आगे जोर देते हुए कहा कि, "जब हज़ारों लोग इस तरह से सिर पर टोपी पहनकर बैठते हैं तो हम अपनी ताकत दिखाते हैं। यह एकता को दर्शाता है और यह भरोसा दिलाता है कि कोई भी हमें दबा नहीं सकता।"
फिरहाद हाकिम ने आगे कहा था कि "चूंकि हम इस्लाम में पैदा हुए हैं, इसलिए पैगंबर और अल्लाह ने हमारे लिए जन्नत का रास्ता साफ कर दिया है।" गौर करें कि, फिरहाद हाकिम, जो गैर-मुस्लिम कह रहे हैं, उसमे केवल सवर्ण हिन्दू शामिल नहीं हैं, इसमें दलित, आदिवासी, OBC, ठाकुर, बनिया, जाट, गुजर सब शामिल हैं। और तो और इसमें जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी, यहूदी और वे लोग भी शामिल हैं, जो किसी भी धर्म को नहीं मानते, यानी नास्तिक हैं, क्योंकि ये सब इस्लाम की नज़र में काफिर (गैर-मुस्लिम) हैं। और काफ़िरों को इस्लाम और मुसलमानों का कट्टर दुश्मन माना जाता है, जिन्हे अल्लाह अनंत नरक की आग में डालकर उन्हें सज़ा देंगे।
ये कोलकाता का मेयर और पश्चिम बंगाल का कैबिनेट मंत्री मंत्री फिरहाद हाकिम है
— ????????Jitendra pratap singh???????? (@jpsin1) July 7, 2024
ये मंच से कह रहा है
“जो लोग इस्लाम में पैदा नहीं हुए, वे बदकिस्मत हैं, अल्लाह को खुश करना है तो दूसरों को (हिन्दुओ) मुसलमान बनाओ।
एक राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री और एक महानगर के मेयर के इस बयान पर… pic.twitter.com/DKQwNVxSLy
फिरहाद हाकिम के अलावा कई अन्य विपक्षी दल भी योगी सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े कर रहे हैं, क्योंकि नैरेटिव ऐसा बना दिया गया है कि ये सिर्फ मुस्लिमों के लिए ही है, जबकि सरकार ने सबको अपनी दूकान के सामने नाम लिखने के लिए कहा है। वैसे क्या एक ग्राहक को ये पता नहीं होना चाहिए कि वो किस कंपनी का या किसकी दूकान से सामान खरीद रहा है ? दरअसल, ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जहां मुस्लिम स्वामित्व वाली दुकानों ने हिंदू नामों का इस्तेमाल करके यह भ्रम पैदा किया कि वे हिंदुओं के स्वामित्व वाली हैं और हिंदुओं द्वारा चलाई जाती हैं। इससे लोगों में चिंता पैदा हुई है कि ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नकली हिंदू नामों का उपयोग क्यों किया जा रहा है ? इसके पीछे मंशा क्या है ? वैसे मुस्लिम समुदाय भी हलाल सर्टिफिकेट देखकर उत्पाद खरीदते हैं ना, जिसे बनाने वाला भी मुस्लिम होता है और सर्टिफिकेट देने वाला भी मुस्लिम ही होता है।
गौर करें तो ये सभी पर लागू होता है, जैसे मुसलमान केवल हलाल मांस खाते हैं, अगर कोई हिन्दू, मुस्लिम नाम से दूकान खोलकर उन्हें झटका मांस या फिर सूअर का मांस परोस दे, तो ये उनके साथ भी गलत होगा। वहीं, जैन समुदाय प्याज़ लहसुन से परहेज करता है, अगर उन्हें जैन भोजन के नाम पर कुछ और परोस दिया जाए, तो ये उनकी आस्था को ठेस पहुंचाने वाला होगा। ऐसी में प्रशासन का आदेश सही मालूम पड़ता है और फिर जब कोई गलत काम नहीं कर रहे तो पहचान छिपाने की जरुरत ही क्यों है ?
इसके अतिरिक्त, विक्रेताओं द्वारा भोजन पर थूकना, चाटना और यहां तक कि पेशाब करने जैसे परेशान करने वाले व्यवहारों को दर्शाने वाले वायरल वीडियो ने अविश्वास और आक्रोश को और बढ़ा दिया है। यूपी प्रशासन के इस आदेश का उद्देश्य ऐसी गतिविधियों को रोकना है जो कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती हैं, जिससे हिंसा भड़कने के भी आसार हैं। त्योहारों में कोई अनहोनी ना हो, इसलिए एहतियातन ये आदेश जारी किया गया है।
जिसके कारण ठप्प पड़ी पूरी दुनिया, उस अमेरिकी कंपनी को कुछ घंटों में हुआ 73 हज़ार करोड़ का नुकसान