भारत में फूटेगा महंगाई बम! गेहूं से लेकर LPG सिलेंडर तक, महंगी होगी ये चीजें

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नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia-Ukraine War) के पश्चात् कच्चे तेल (Crude Oil) में उबाल आ गया है। बृहस्पतिवार को अमेरिका में कारोबार के चलते कच्चे तेल (crude) के दाम 14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। यह 116.57 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई जो 22 सितंबर 2008 के पश्चात् इसका उच्चतम स्तर है। तब लीमन ब्रदर्स (Lehman Brothers) संकट कि वजह से इसमें उबाल आया है। रूस-यूक्रेन संकट की वजह से कच्चा तेल ही नहीं, खाद्य तेल (Cooking Oil), खाद्यान्न तथा गैस के दामों (Natural Gas) में भारी बढ़ोतरी हुई है। इसका प्रभाव भारत में भी नजर आने लगा है तथा आने वाले दिनों में महंगाई अनियंत्रित हो सकती है। यूक्रेन में एक सप्ताह की लड़ाई ने ग्लोबल इकॉनमी की चूलें हिलाकर रख दी हैं। पश्चिमी देशों (Western Countries) के प्रतिबंधों से रूस अलग-थलग पड़ गया है, उसकी करेंसी तथा फाइनेंशियल एसेट्स (Financial Assets) बुरी तरह प्रभावित हुए हैं तथा एनर्जी तथा खाद्यान्नों के दाम आसमान पर पहुंच गए है। World Bank के अनुसार, 1.5 लाख करोड़ डॉलर के साथ रूस दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी इकॉनमी है। रूस के पास तेल और गैस का काफी बड़ा भंडार है। यही कारण है कि रूस से सप्लाई बाधित होने की आशंका के चलते कच्चे तेल में बढ़ोतरी आई है।

20 फीसदी महंगा हुआ कच्चा तेल:-
रूस एवं यूक्रेन के बीच जारी तनाव के बीच कच्चे तेल के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं. यूक्रेन में लड़ाई आरम्भ होने का पश्चात् कच्चे तेल के दामों में 20 प्रतिशत तेजी आई है। यूरोप में नेचुरल गैस की कीमत रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, एशिया में इसका सबसे अधिक प्रभाव भारत पर पड़ सकता है। भारत अपनी आवश्यकता का 80 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है।

चौतरफा महंगाई का खतरा:-
कच्चे तेल के दाम बढ़ने से सीमेंट, एयरलाइंस, पेंट बनाने वाली कंपनियों, एफएमसीजी तथा ऑटो सेक्टर प्रभावित होंगे। सीमेंट कंपनियों के कुल ऑपरेटिंग कॉस्ट में पावर तथा फ्यूल का खर्च 25 से 30 फीसदी है। इसी प्रकार एविएशन फ्यूल महंगा होने से एयरलाइन कंपनियां प्रभावित होंगी। पेंट में कच्चे तेल का व्यापक उपयोग होता है। इसी प्रकार पैकेजिंग एवं ट्रांसपोर्ट महंगा होने से एफएमसीजी कंपनियों की लागत बढ़ेगी। तेल महंगा होने से ऑटो सेक्टर भी प्रभावित होगा। मतलब तेल के दाम बढ़ने से महंगाई की चौतरफा मार पड़ेगी।

अप्रैल से गैस की कीमत हो सकती है दोगुना:-
विश्वभर में अभी गैस (Natural Gas) की भारी किल्लत है तथा अप्रैल में इसका प्रभाव भारत में देखने को मिल सकता है। इससे देश में गैस के दाम दोगुना हो सकते है। सीएनजी (CNG), पीएनजी (PNG) तथा बिजली के दाम बढ़ जाएंगे। घरेलू इंडस्ट्रीज पहले ही आयातित एलएनजी (LNG) के लिए अधिक दाम चुका रहे है। इसके कारण लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स हैं जहां दाम कच्चे तेल से जुड़ी हुई हैं। लेकिन इसका असली असर अप्रैल में देखने को मिलेगा जब सरकार नेचुरल गैस की घरेलू कीमतों में बदलाव करेगी।

खाद्यान्न की कीमतों में तेजी:-
रूस-यूक्रेन युद्ध से ग्लोबल सप्लाई चेन (Global Supply Chain) पर दबाव बढ़ गया है जिससे और कई चीजों के कीमतें भी बढ़ने लगी हैं। दुनिया में गेहूं के उत्पादन में यूक्रेन तथा रूस की 14 फीसदी भागेदारी है। विश्व भर में कुल गेहूं निर्यात में इन दोनों देशों की 29 फीसदी भागेदारी है। इससे दुनिया भर में गेहूं के दाम बढ़ सकते है। 

खाद्य तेल में भी उबाल:-
कोरोना महामारी और अब रूस-यूक्रेन में युद्ध के चलते खाद्य तेलों के दामों में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि सरसों के तेल की कीमतों पर अभी इसका प्रभाव नहीं पड़ा है, मगर विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले वक़्त में सरसों के तेल की कीमतों पर भी इसका प्रभाव पड़ने की संभावना है. दरअसल, देशभर के बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है. विशेष रूप से रिफाइंड एवं सूरजमुखी तेल की कीमतों में पिछले 15 दिन के अंदर ही लगभग 30 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई है. 15 दिन पहले रिफाइंड जहां 140 रुपए लीटर था तो अब बढ़कर 165 रुपए लीटर हो गया है. सूरजमुखी तेल पहले 140 रुपए था, जो अब 170 रुपए हो गया है. वहीं देसी घी का दाम पहले 360 रुपए लीटर था, जो अब 420 रुपए तथा वनस्पति तेलों की कीमतों में भी 20 रुपए की बढ़ोतरी हुई है.

इलेक्ट्रॉनिक सामान और गाड़ियां होंगी महंगी:-
एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की चिप इंडस्ट्री C4F6, नियॉन और पैलडियम के लिए बहुत हद तक रूस और यूक्रेन पर निर्भर है। सेमीकंडक्टर बनाने में इनका व्यापक उपयोग होता है। उदाहरण के लिए अमेरिका की सेमीकंडक्डर इंडस्ट्री में उपयोग होने वाला 90 फीसदी नियॉन यूक्रेन से आता है। विश्व में रूस पैलेडियम का सबसे बड़ा सप्लायर है। सेमीकंडक्टर्स का उपयोग ऑटो एवं इलेक्ट्रॉनिक्स समेत कई इंडस्ट्रीज में होता है।

खाद हो जाएगी महंगी:-
विश्व में दो तिहाई अमोनियम नाइट्रेट का उत्पादन रूस में होता है। रूस विश्व में इसका सबसे बड़ा निर्यातक है। इसकी आपूर्ति बाधित होने से विश्वभर में फसलों का उत्पादन महंगा होगा। इससे खाद्य महंगाई के बढ़ने की संभावना है। अमेरिका में खाद्य महंगाई छह प्रतिशत के ऊपर पहुंच गई है। भारत यूक्रेन से बड़ी मात्रा में रासायनिक खाद का आयात करता है। इसकी सप्लाई बाधित होने से देश में खाद की कमी हो सकती है। इतना ही नहीं, खाद बनाने वाले ज्यादातर प्लांट अब कोयले की जगह गैस पर शिफ्ट हो गए हैं। गैस की सप्लाई यूक्रेन से होती है।

मेटल्स भी होंगे महंगे:-
रूस के पास विश्व का लगभग 10 प्रतिशत कॉपर भंडार है। साथ ही उसके पास एल्युमिनियम तथा निकेल का छह प्रतिशत भंडार है। कार उत्पादन में एल्युमिनियम का उपयोग होता है जबकि इलेक्ट्रिक कार बैटरी में निकेल की आवश्यकता होती है। ये दोनों धातुएं एक दशक के उच्चतम स्तर पर है। रूस साथ ही विश्व में प्लेटिनम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है जिसका उपयोग कई इंडस्ट्रीज में होता है।

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