दिनों दिन बढ़ती जा रही मेंहगाई ने पकिस्तान की हालत ख़राब कर दी है. वही पाकिस्तान ने बीते बुधवार ( को कहा कि बाल अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र समझौते (सीआरसी) को अंगीकार करने के 30 वर्ष पूरे होने के मौके पर दुनिया को कश्मीर में बच्चों की बदहाली को ध्यान में रखा जाना चाहिए. वही सीआरसी मानव अधिकार संधि है, जो कि बच्चों के नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक अधिकारों को निर्धारित किया जाना चाहिए.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 नवंबर 1989 को संधि को अंगीकार किया और इसे हस्ताक्षर के लिए सामने रखा. इसके बाद यह दो सितंबर 1990 से अस्तित्व में आया. विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान हरेक बच्चों के पलने, बढ़ने, खेलने, फलने-फूलने के अधिकार की फिर से पुष्टि कर रहा है.
जंहा ऐसा कहा जा रहा है कि इस दिन, दुनिया को जम्मू कश्मीर के बच्चों की बदहाली को नहीं भूलना चाहिए. बयान में कहा गया कि मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त, संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय नागरिक समाज ने निहत्थे बच्चों के खिलाफ कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों को विस्तार से दर्ज किया है. हम आपको बता दें कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कश्मीर के बच्चों की आवाज बनने का आह्वान किया और भारत से तुरंत अवैध नीतियां और कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया जो कि सीआरसी के तहत उसकी अपनी प्रतिबद्धता के विपरीत है. बयान में कहा गया कि पाकिस्तान बच्चों के अधिकारों के प्रोत्साहन और संरक्षण के लिए अपनी अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को बहाल रखने के लिए कटिबद्ध है.
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