कोटा: कोटा जिला प्रशासन ने गुरुवार (17 अगस्त) को एक आदेश जारी करते हुए सभी छात्रावासों और पेइंग गेस्ट (PG) आवासों को "छात्रों को मानसिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए" हर कमरे में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाने की आवश्यकता बताई है। दरअसल, यह आदेश बीते कुछ समय में शहर में 21 छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद आया है। इन खुदकुशियों ने देश के कोचिंग हब को हिलाकर रख दिया था और राजस्थान के शहर में तत्काल सुधारों की मांग को जन्म दिया था। कोटा जिला कलेक्टर ओम प्रकाश बुनकर द्वारा जारी आधिकारिक बयान पढ़ते हुए बताया कि, 'कोटा शहर में कोचिंग छात्रों के बीच बढ़ती आत्महत्याओं को रोकने और उनमें पढ़ने/रहने वाले छात्रों को मानसिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए, राज्य के सभी हॉस्टल/पीजी संचालकों को प्रत्येक कमरे में पंखों में एक सुरक्षा स्प्रिंग डिवाइस स्थापित करने का निर्देश दिया गया है।' प्रशासन ने कोचिंग सेंटरों, हॉस्टलों और पीजी के मालिकों से दिसंबर 2022 के आदेश का पालन करने का भी आग्रह किया है, जिसमें छात्रों के लिए एक साप्ताहिक छुट्टी, 80 छात्रों की कक्षा आकार की सीमा, साथ ही छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए मनोवैज्ञानिक परीक्षण अनिवार्य है।
#WATCH | Spring-loaded fans installed in all hostels and paying guest (PG) accommodations of Kota to decrease suicide cases among students, (17.08) https://t.co/laxcU1LHeW pic.twitter.com/J16ccd4X0S
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) August 18, 2023
पत्र में आगे कहा गया है कि अनुपालन न करने वाले आवासों और संस्थानों को जब्त कर लिया जाएगा और मालिकों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। तदनुसार, छात्रों के बीच आत्महत्या के मामलों को कम करने के लिए कोटा के कई पेइंग गेस्ट (PG) आवास और हॉस्टलों ने कमरों में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाए हैं। इसके साथ ही, हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल ने इस मुद्दे पर टिप्पणी की और कहा कि “कोटा में 90-95% हॉस्टलों ने पहले से ही स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाए हैं, लेकिन कई PG आवास अपरिभाषित हैं और मालिकों के साथ कोई तालमेल नहीं है। इन पीजी मालिकों को दिशानिर्देशों का पालन कराना हमारे लिए और प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती है।
कोटा में आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी :-
बता दें कि, यह आदेश, 15 अगस्त को कोटा शहर में पिछले 8 महीनों में आत्महत्या का 22वां मामला सामने आने के एक दिन बाद आया है। एक 18 वर्षीय लड़का जिसकी पहचान वाल्मिकी जांगिड़ के रूप में हुई है, एक साल पहले जुलाई 2022 में कोटा आया था। वह बिहार का मूल निवासी था। गया और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) मेन्स परीक्षा के लिए एक कोचिंग संस्थान में पढ़ रहा था। वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में दाखिला लेना चाहते थे। लेकिन 15 अगस्त को उन्होंने आत्महत्या कर ली। हालिया घटना ने एक बार फिर कोटा के छात्र आत्महत्याओं के परेशान करने वाले रिकॉर्ड की ओर ध्यान आकर्षित किया है। हर साल, देश भर से हजारों छात्र देश के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग और मेडिकल स्कूलों में प्रवेश के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की पढ़ाई के लिए राजस्थान के इस शैक्षिक केंद्र में आते हैं। बीते कुछ वर्षों में, कोटा में कई छात्रों ने आत्महत्या की है, जिनमें से कई ने पढ़ाई के तनाव और छात्रों के असफल होने के डर को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। पिछले साल कोटा में कुल 15 छात्रों ने आत्महत्या की थी। लेकिन इस साल अगस्त तक ही मरने वालों की संख्या 22 तक पहुंच चुकी है। इस साल मई में राजस्थान के कोटा शहर से लगभग 5 छात्रों की आत्महत्या की खबरें आईं थी। बाद में यह संख्या लगातार बढ़ती गई और अब तक लगभग 17 छात्रों ने संभवतः परीक्षा के दबाव के कारण आत्महत्या कर ली है। कुछ छात्रों ने खुद को फाँसी लगा ली, जबकि कुछ ने ऊँची इमारतों से छलांग लगा दी।
इससे पहले, छात्रों की बढ़ती आत्महत्या दर को रोकने के लिए इसी तरह के कई प्रस्ताव पेश किए गए थे, जिनमें से कुछ बेतुके लग रहे थे। लेकिन बढ़ती आत्महत्या दर को देखते हुए लगता है कि इन प्रस्तावों पर भी गौर करने की जरूरत है। भारतीय विज्ञान संस्थान ने पिछले साल छात्रावास के कमरों में दीवार पर लगे पंखे लगाने और छत के पंखे हटाने का प्रस्ताव दिया था। इस बीच अन्य लोगों ने 2017 में आंध्र प्रदेश में इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड द्वारा छात्रों के तनाव को कम करने के लिए की गई सिफारिशों को लागू करने का सुझाव दिया था, जिसमें योग और शारीरिक शिक्षा कार्यक्रमों की पेशकश और एक स्वस्थ छात्र-शिक्षक अनुपात बनाए रखना शामिल था।
हालाँकि, यह दुखद रूप से स्पष्ट है कि इन खुदकुशियों के पीछे सबसे बड़ी और मुख्य समस्या, दंडात्मक और तनाव देने वाली शिक्षा प्रणाली, जिसका उद्देश्य युवा बुद्धिजीवियों का समर्थन करना या छात्रों को आज की आर्थिक वास्तविकताओं के लिए तैयार करना नहीं है, पर अब भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसा लगता है कि नई शिक्षा नीति 2020 के दृष्टिकोण को पूरी तरह से लागू होने में समय लगेगा, जो छात्रों पर तनाव को कम करने के लिए अधिक शैक्षणिक लचीलापन प्रदान करता है।
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