लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव की जगह राहुल गाँधी बताने लगे भारत जोड़ो यात्रा का दर्द

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव की जगह राहुल गाँधी बताने लगे भारत जोड़ो यात्रा का दर्द
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नई दिल्ली: कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार से ही चर्चा आरम्भ हो गई है। आज राहुल गांधी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर भाषण दे रहे हैं। लोकसभा में पक्ष एवं विपक्ष के बीच मंगलवार को भी तीखी बहस देखने को मिली। सदन में राहुल गांधी भी उपस्थित थे मगर उनकी जगह गौरव गोगोई ने चर्चा की शुरुआत की थी। आज चर्चा का दूसरा दिन है। बृहस्पतिवार को चर्चा के बाद पीएम मोदी भी जवाब दे सकते हैं। 

वही इसके चलते राहुल गांधी अविश्वास प्रस्ताव की जगह भारत जोड़ो यात्रा पर बात करने लगे, उन्होंने फिर अडानी से अपने भाषण की शुरुआत की. उन्होंने कहा- पिछली बार जब मैं बोला तो आपको कष्ट हुआ क्योंकि मैंन इतने जोर से अडानी जी पर बोला। आपके सीनियर नेता को कष्ट हुआ। लेकिन आज आपको डरने की जरूरत नहीं। यात्रा के चलते बहुत से लोगों ने मेरे से पूछा कि आप कन्याकुमारी से कश्मीर तक यात्रा क्यों कर रहे हो, शुरू में मुझे भी जवाब मालूम नहीं था। मगर, थोड़े दिनों में मुझे बात समझ में आने लगी। सालों से मैं 8-10 किलोमीटर दौड़ता हूं तो मुझे लगा कि 25 किलोमीटर चलना मेरे लिए कोई मुश्किल नहीं है। ये मेरे अंदर अहंकार था, मगर भारत अहंकार को तुरंत मिटा देता है। पहले दो-तीन दिनों में ही घुटने के दर्द से मेरा अहंकार समाप्त हो गया। जो हिन्दुस्तान को अहंकार से देखने निकला था, उसे रोज लगने लगा कि मैं कल चल पाऊंगा कि नहीं। हिंदुस्तान को जो मैं अहंकार से देखने निकला था वह गायब हो गया। मैं रोज डर डरकर चलता था कि क्या मैं कल चल पाऊंगा। लाखों लोगों ने मेरे साथ शक्ति मिलाई। शुरुआत में किसान आता था और मैं उसको अपनी बात बता देता था। 

वही आज राहुल गांधी ने कहा, एक किसान आया और हाथ में उंगली पकड़ी और मेरी आंख मे देखकर उसने रूई का बंडल दिया और कहा कि राहुल जी यही बचा है मेरे खेत का। और कुछ बचा नहीं है। मैंने उससे पूछा कि आपको ये वाला पैसा मिला। किसान ने कहा, नहीं राहुल जी मुझे बीमा का पैसा नहीं मिला। हिंदुस्तान के बड़े उद्योगपतियों ने मुझसे छीन लिया। लेकिन इस बार बड़ी अजीब सी बात हुई। किसान के दिल में जो दर्द था, वह दिखा। उसकी भूख मुझे समझ आई। उसके बाद यात्रा बिल्कुल बदल गई। मुझे भीड़ की आवाज नहीं सुना ई देती थी मुझे सिर्फ उस व्यक्ति की आवाज सुनाई देती थी जो मेरे साथ अपना दुख बांटता था। उसकी चोट मेरा दर्द बन गई।

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