ग्वालियर/ब्यूरो। जिला उपभोक्ता प्रतितोषण आयोग ने कोविड-19 से पीड़ित एक मरीज के केस में अहम फैसला दिया है। एम्स की गाइड लाइन का हवाला देकर बीमा कंपनी क्लेम को खारिज नहीं कर सकती हैं। क्योंकि हर मरीज की इम्युनिटी अलग-अलग होती है।
डाक्टर के कहने पर ही उसे उपचार मिलता है। यदि व एम्स की गाइड लाइन व अपनी मर्जी से इलाज लेता है तो उसके साथ होने वाली हानि के लिए कौन जिम्मेदार होगा। बीमा कंपनी ने पीड़ित की छवि धूमिल कर उसे मानसिक पीड़ा दी है। 5 हजार रुपये क्षतिपूर्ति अदा करे, साथ ही केस लड़ने के 3 हजार रुपये अलग से देने होंगे। पुनः बीमा क्लेम पर विचार करे।
पीड़ित केके शर्मा अप्रैल 2021 में कोविड पीड़ित हुए थे। ग्वालियर में अस्पताल नहीं मिलने पर जालंधर इलाज के लिए पहुंचे थे। यहां पर उनकी बेटी व दामाद रहते थे। बीमा कंपनी ने उनका एक लाख 45 हजार का क्लेम यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि एम्स की गाइड लाइन के अनुसार हर मरीज को अस्पताल में भर्ती की जरूरत नहीं थी। ये घर पर रहकर भी इलाज ले सकते थे। बीमा कंपनियों क्लेम खारिज किए तो लोगों ने उपभोक्ता फोरम की शरण ली है।
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