ITR की अंतिम तिथि बढ़ाए जाने के उपरांत भी कुछ लोगों को ब्याज चुकाना पड़ सकता है. E-Portal में आ रही गड़बड़ियों को देखते हुए गवर्नमेंट ने ITR की अंतिम तिथि को बढ़ाकर लोगों को मोहलत प्रदान की है. हम बता दें कि ये रियायत सबके लिए नहीं है. कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें ITR फाइलिंग पर प्रतिमाह 1 परसेंट के हिसाब से अतिरिक्त ब्याज भरना अनिवार्य होगा. यह ITR भले ही बढ़ी हुई अवधि में क्यों न दाखिल कर दी जाए. यह नियम उन लोगों पर लगेगा जिनके टैक्स देनदारी का बैलेंस 1 लाख रुपये से अधिक है.
मिली जानकारी के अनुसार टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि बढ़ाए जाने वाले सर्कुलर में इस बारे में साफ कहा गया है. इसमें कहा गया है कि तिथि बढ़ाए जाने का नियम सेक्शन 234A के संदर्भ में लागू नहीं किये जा रहे है. इस सेक्शन का अर्थ है कि टैक्सपेयर अगर ITR की बढ़ी हुई अवधि में भी टैक्स रिटर्न फाइल करता है तो प्रति माह 1 परसेंट के हिसाब से ब्याज देना अनिवार्य कर दिया जाएगा. ब्याज का हिसाब ITR के ओरिजनल ड्यू डेट यानी कि 31 जुलाई 2021 से लागू किया जाएगा. यह तारीख सामान्य टैक्सपेयर्स के लिए है. 31 अक्टूबर की तारीख उन टैक्सपेयर्स के लिए है जिनका अकाउंट ऑडिट करने वाले है. जिनके टैक्स का बैलेंस अमाउंट 1 लाख से ज्यादा होगा, उनपर 1 परसेंट का नियम लागू होगा.
कितना भरना होगा ब्याज: इस हिसाब से देखें तो ITR की तारीख बढ़ने से जिन टैक्सपेयर्स को एडवांस टैक्स चुकाना होता है, उन्हें 2 परसेंट की दर से ब्जाज देना जरुरी है. 1 परसेंट ब्याज सेक्शन 234B के अंतर्गत और 1 परसेंट ब्याज 234A के तहत. यह नियम ITR फाइल करने की ओरिजिनल ड्यू डेट 31 जुलाई या 31 अक्टूबर से हो सकती है. जिस टैक्सपेयर के लिए जो तिथि लगेगी, उसी हिसाब से ब्याज देना होगा. जिन टैक्सपेयर को एडवांस टैक्स नहीं देना है, लेकिन जिनकी सेल्फ एसेसमेंट टैक्स लायबिलिटी 1 लाख रुपये से ज्यादा है, उन्हें 31 जुलाई या 31 अक्टूबर की तारीख से 1 परसेंट के हिसाब से ब्याज देना होगा.
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