हिंदी सिनेमा में जो महान गीतकार हुए हैं, उनमे आनंद बख्शी का नाम शीर्ष पर आता है। एक ऐसा गीतकार जिसने हिंदी सिनेमा को 4 हजार से भी अधिक गाने दिए। आइए जानते है आज इस महान गीतकार से जुड़ीं कुछ ख़ास बातों के बारे में।
- हिंदी सिनेमा के महान गीतकार रहे आनंद बख्शी फिल्मों में गायक के तौर पर अपना योगदान देना चाहते थे। हालांकि लोगों के मजाक उड़ने के डर से वे इस दुनिया के सामने फिर एक गीतकार के रूप में उभरें।
- अपने सपनों को उड़ान देने के लिए महज 14 साल की छोटी उम्र में ही घर से भागकर आनंद मायानगरी मुंबई जा पहुंचे थे।
- अपने लिखे गानों पर हर किसी को झूमाने वाले आनंद भारतीय नेवी ओर भारतीय सेना में भी नौकरी कर चुके हैं। रॉयल इंडियन नेवी में कैडेट के तौर पर दो साल वे काम करते रहे। लेकिन किसी विवाद के चलते उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा। वहीं इसके बाद 1947-1956 तक वे भारतीय सेना में काम करते रहे।
- अपने सपनों को साकार करने के लिए एक बार फिर आनंद ने मुंबई का रूख किया। इस बार मुंबई में वे उस समय के मशहूर अभिनेता भगवान दादा से मिलें। इस दौरान भगवान दादा ने आनंद को अपनी फिल्म ‘भला आदमी’ में एक गीतकार के रूप में काम करने के लिए कहा। इसी फिल्म से शुरू हुआ हिंदी सिनेमा के एक महान गीतकार आनंद बख्शी का फ़िल्मी जीवन।
- गीतकार के तौर पर 7 साल तक संघर्ष करने के बाद उन्हें पहचान मिली साल 1965 में ‘जब जब फूल खिले ’ फिल्म से। इस फिल्म के गाने
‘परदेसियों से न अंखियां मिलाना‘‘ये समां...समां है ये प्यार का’,‘एक था गुल और एक थी बुलबुल’ सुपरहिट साबित हुए थे। अब वे बॉलीवुड में एक गीतकार के रूप में खुद को स्थापित कर चुके थे। साल 1965 में ही उनका लिखा एक और गीत‘चांद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोंचा था’ भी लोगों के सिर चढ़कर अपना जादू बिखेरने में कामयाब रहा।
- दो साल बाद 1967 में रिलीज हुई सुनील दत्त और नूतन की फिल्म 'मिलन' के गाने‘सावन का महीना पवन करे शोर‘‘युग युग तक हम गीत मिलन के गाते रहेंगे‘,‘राम करे ऐसा हो जाये’ जैसे सदाबहार गानों से उनका करियर शिखर पर पहुंच गया था।
- हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना के करियर को सफल बनाने में भी आनंद बक्शी का हाथ रहा। राजेश खन्ना की फिल्म आराधना में लिखे गाने ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू‘. से राजेश को तो एक बड़े स्टार का तमगा मिल ही गया था, वहीं महान गायक किशोर कुमार के करियर में भी एक सुनहरा मौका इस गाने से आया। राजेश की फिल्म आराधना की अपार सफलता के बाद तो आर.डी.बर्मन आनंद बख्शी के चहेते संगीतकार बन चुके थे।
- आनंद बख्शी कुल 4 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड से सम्मानित किए गए।
- करीब 4 दशक तक बॉलीवुड पर आनंद ने अपने गानों के दमदार बोल के चलते राज किया। उन्होंने इस दौरान 550 से भी ज्यादा फिल्मों के लिए लगभग 4000 गीत लिखें थे।
- 21 जुलाई 1930 को पाकिस्तान के रावलपिंडी में जन्मे आनंद बक्शी 30 मार्च 2002 को इस दुनिया को अलविदा कह गए थे।
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