किन्नर कौन है ? किन्नरों के कुछ अनसुलझे रोचक तथ्य

किन्नर कौन है ? किन्नरों के कुछ अनसुलझे रोचक तथ्य
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प्रकृत‌ि में पुरुष और स्त्री के अतिरिक्त एक अन्य वर्ग भी है जो न तो पूरी तरह नर होता है और न नारी। जिसे लोग हिजड़ा या किन्नर या फिर ट्रांसजेंडर के नाम से संबोधित करते हैं। अक्सर लोगो को इस तृतीय लिंग के विषय में विशेष जिज्ञासा रहती है | आइये जाने की आखिर किन्नर क्या होते है, किन्नर पैदायशी रूप से न ही स्त्री लिंग हैं न ही पुरुष अपितु प्रकृति ने इन्हें अन्तः लिंगी अथवा अलैंगिक स्वरुप का बनाया है | अधिकांश किन्नर पुरुष शारीरिक संरचना के होते हैं परन्तु उनका व्यवहार स्त्रियोचित होता है | बहुत कम किन्नर ऐसे भी होते हैं जिनकी शारीरिक संरचना स्त्रियों जैसी होती है परन्तु दोनों किन्नरों में जननांग अवशेषी रूप में होते हैं जो सक्रीय नहीं होते हैं| किन्नरों के अंदर एक अलग गुण पाए जाते हैं। इनमे पुरुष और स्त्री दोनों के गुण एक साथ पाए जाते हैं। 

वास्तव में हिजड़े या किन्नर इंसानो की वह अवस्था है जब की गर्भ में शरीर के विकास क्रम में किसी एक लिंग का निर्धारण होते होते या तो विकास की प्रक्रिया रुक जाती है या कुछ समय बाद दूसरे लिंग का विकास होने लगता है | इस प्रकार हिजड़े या किन्नर में लिंग या योनि या तो अविकसित अवस्था में होते हैं या फिर लिंग और योनि का मिलावटी स्वरुप हो जाता है | इसी मिलावटी स्वरुप वाले लोगों की अवस्था को मध्यलिंगता (Inter sexuality) कहा जाता है |

जानिए किन्नर समुदाय से जुड़ी कुछ खास बातें -

1 ज्योतिष के अनुसार वीर्य की अधिकता से पुरुष (पुत्र) उतपन्न होता है। रक्त (रज) की अधिकता से स्त्री (कन्या) उतपन्न होती है। वीर्य और राज़ समान हो तो किन्नर संतान उतपन्न होती है। 

2 हिंजड़ों की शव यात्राएं रात्रि को निकाली जाती है। शव यात्रा को उठाने से पूर्व जूतों-चप्पलों से पीटा जाता है।किन्नर के मरने उपरांत पूरा हिंजड़ा समुदाय एक सप्ताह तक भूखा रहता है।

3 किन्नर समुदाय में गुरू शिष्य जैसे प्राचीन परम्परा आज भी यथावत बनी हुई है। किन्नर समुदाय के सदस्य स्वयं को मंगल मुखी कहते है क्योंकि ये सिर्फ मांगलिक कार्यो में ही हिस्सा लेते हैं मातम में नहीं|

4 किन्नर समाज कि सबसे बड़ी विशेषता है मरने के बाद यह मातम नहीं मनाते हैं। किन्नर समाज में मान्यता है कि मरने के बाद इस नर्क रूपी जीवन से छुटकारा मिल जाता है। इसीलिए मरने के बाद हम खुशी मानते हैं । ये लोग स्वंय के पैसो से कई दान कार्य भी करवाते है ताकि पुन: उन्हें इस रूप में पैदा ना होना पड़े।

5 देश में हर साल किन्नरों की संख्या में 40-50 हजार की वृद्धि होती है। देशभर के तमाम किन्नरों में से 90 फीसद ऐसे होते हैं जिन्हें बनाया जाता है। समय के साथ किन्नर बिरादरी में वो लोग भी शामिल होते चले गए जो जनाना भाव रखते हैं।

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