आप सभी में से कई ऐसे लोग होंगे जो शिव भक्त होंगे और शिव से जुडी हर बात को जानते होंगे, लेकिन आज हम जो रहस्य बताने जा रहे हैं उसे आपने शायद पहले कभी नहीं सूना होगा. जी हाँ, आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान शिव से जुड़ा वह रहस्य जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. आइए बताते हैं आपको.
इस वजह से जटा में गंगा - अगर पौराणिक कथाओं को माने तो महाराज भागीरथ ने अपने पूर्वजों को जीवन-मरण के दोष से मुक्त करने के लिए गंगा का पृथ्वी पर लाने के लिए कठोर तप किया. इससे मां गंगा प्रसन्न हुईं और वह पृथ्वी पर आने को तैयार हो गईं. लेकिन उन्होंने भागीरथ से कहा कि उनका वेग पृथ्वी सहन नहीं कर पाएगी और रसातल में चली जाएगी. यह सुनकर भागीरथ ने भोलेनाथ की आराधना की. शिव उनकी पूजा से प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा. तब भागीरथ ने उनसे अपने मनोरथ कहा. इसके बाद जैसे ही गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई तो भोलेनाथ ने उनका अभिमान चूर करने के लिए उन्हें अपनी जटाओं में कैद कर लिया. हालांकि गंगा के माफी मांगने पर उन्हें मुक्त भी कर दिया.
सिर पर इसलिए है चन्द्रमा - जी दरअसल इसकी कथा शिव पुराण में मिलती है. जिसके अनुसार महाराज दक्ष ने अपनी 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा के साथ किया था. लेकिन चंद्रमा रोहिणी से अत्यधिक प्रेम करते थे. दक्ष की पुत्रियों ने इसकी शिकायत की. तब दक्ष ने चंद्रमा को क्षय रोग से ग्रसित होने का शाप दिया. इससे बचने के लिए चंद्रमा ने भगवान शिव की पूजा की. भोलेनाथ चंद्रमा के भक्ति भाव से प्रसन्न हुए और उनके प्राणों की रक्षा की. साथ ही चंद्रमा को अपने सिर पर धारण किया. लेकिन आज भी चंद्रमा के घटने-बढ़ने कारण महाराज दक्ष का शाप ही माना जाता है.
त्रिशूल धारण करने का कारण- पौराणिक कथाओं के अनुसार जब शिव जी प्रकट हुए तो उनके साथ ही सथ तम, अरज और असर ये तीन गुण भी उत्पन्न हुए जो कि त्रिशूल के रूप में परिवर्तित हुआ. क्योंकि इन गुणों में सामंजस्य बनाए रखना बेहद आवश्यक था तो भोलेनाथ ने इन तीनों गुणों को त्रिशूल रूप में अपने हाथ में धारण किया.
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