पटना। बिहार में इन दिनों मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बीच कुछ तकरार देखने को मिल रही है। हालांकि महागठबंधन के नेता सौहार्द की राजनीति की बात कर रहे हैं उनका कहना है कि आरजेडी और जेडीयू मिलकर महागठबंधन में अच्छा कार्य कर रहे हैं मगर बिहार विधान परिषद के सभापति पद को लेकर दोनों प्रमुख नेता एकमत नज़र नहीं आ रहे हैं। दरअसल आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव अपनी पत्नी राबड़ी देवी को विधान परिषद के सभापति पद पर काबिज देखना चाहते हैं।
मगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार भारतीय जनता पार्टी के विधान पार्षद और वर्तमान सभापति अवधेश नारायण सिंह को ही फिर से सभापति के पद पर देखना चाहते हैं। ऐसे में जेडीयू और आरजेडी के नेता आमने सामने हो गए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अवधेश नारायण सिंह के विरूद्ध कोई प्रत्याशी नहीं लाना चाहते हैं मगर लालू प्रसाद यादव का मानना है कि राबड़ी देवी को प्रत्याशी के तौर पर सामने लाया जाए। मगर नीतीश के निर्णय से भाजपा में प्रसन्नता है।
दरअसल विधानपरिषद के 4 सीटों के लिए हुए चुनाव में दो पर जेडीयू जीती तो 2 सीट पर भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई। कांग्रेस और आरजेडी को कोई सीट नहीं मिल पाई ऐसे में लालू प्रसाद यादव राबड़ी देवी को विधान परिषद अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। गौरतलब है कि विधानपरिषद में जेडीयू के पास 30 सीट है भाजपा 23 सीट पर है और यदि अवधेश नारायण सिंह के समर्थन में दोनों दल मिलकर वोट करें तो 53 सीट की संख्या हो जाती है। जबकि अवधेश नारायण सिंह को जीत के लिए 39 मत की जरूरत होगी ऐसे में अवधेश का फिर से सभापति बनना लगभग तय है।
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