विश्व में प्रत्येक वर्ष 26 जून को अन्तरराष्ट्रीय मादक द्रव्य निषेध (नशा मुक्ति/निवारण) दिवस मनाया जाता है जिससे विश्व में अधिक से अधिक व्यक्तियों को नशा की लत तथा उससे होने वाली मौत से बचाया जा सके। इस दिन को मनाने का लक्ष्य विश्व भर के व्यक्तियों के लिए शोध पड़ताल, आंकड़े तथा तथ्यों को साझा करना है जिससे नशे की लत में पड़े व्यक्तियों की जिंदगी बचाई जा सके। संयुक्त राष्ट्र स्वयं इस दिन पर लोगों को कई प्रकार की गतिविधियां आयोजित करता है जिससे व्यक्तियों में इसके प्रति जागरुकता उत्पन्न हो।
अन्तरराष्ट्रीय मादक द्रव्य निषेध (नशा मुक्ति/निवारण) दिवस दुनिया भर के कार्यकर्ता, चिकित्सक, तथा नशा छोड़ने के लिए लोगों की सहायता करने वाले संगठन और सरकारों के लिए एकता दिखाने का अवसर भी होता है जिससे नशा करने वालों की सहायता करने में सरलता हो सके। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस चुनौती से निपटने में सहयोग का महत्वपूर्ण किरदार होता है।
संयुक्त राष्ट्र का नजरिया:-
संयुक्त राष्ट्र के नशा तथा उससे जुड़े अपराध से निपटने वाली शाखा, यूनाइटेड नेशनस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) का भी कहना है कि साथ काम करके ही हम नशे की परेशानी से निपट सकते हैं। कोरोना संकट के वक़्त भी हमें यही शिक्षा प्राप्त हुई है कि मिल कर किसी भी परेशानी या आपदा से निपटा जा सकता है। विशेषज्ञ बोलते हैं कि नशे की लत पड़ने की संभावना वाले व्यक्तियों की सहायता में समुदायिक तथा पारिवरिक सहयोग महत्वपूर्ण किरदार निभाता है।
कब हुई थी इस दिन की शुरुआत:-
संयुक्त राष्ट्र की आमसभा ने 7 दिसंबर वर्ष 1987 को समाज को नशे के खतरों से मुक्त बनाने के ले मजबूत कदम तथा वैश्विक एकता बनाने की कोशिश में 26 जून को अन्तरराष्ट्रीय मादक द्रव्य निषेध (नशा मुक्ति/निवारण) दिवस मनाने का निर्णय लिया। यह दिन लिन जेक्स्यू के रणनीतिक रूप से ह्यूमेन, गुआंगडोंग, चीन में पहले अफीम युद्ध से ठीक पहले अफीम के कारोबार को तहस नहस करने की कोशिश के लिए भी जाना जाता है।
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