नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी रोकथाम के लिए दुनियाभर में चल रहे लॉकडाउन के कारण खतरनाक वैश्विक मंदी आने की संभावना जताई जा रही है. वर्तमान मंदी की गंभीरता का अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि ये 2008 में आए स्लोडाउन से अधिक बदतर होगी. यदि वैश्विक मंदी आई तो हजारों कंपनियों के बंद होने और नौकरी जाने का खतरा पैदा हो सकता है.
उल्लेखनीय है कि चीन में बीते तीन महीने से चल रहे लॉक डाउन के बाद से ही अधिकतर फाइनेंस रिसर्च कंपनियां आर्थिक मंदी की आशंका जता चुकी हैं. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा 'अब हम मंदी में हैं, यह वैश्विक आर्थिक संकट से भी बदतर है.' जॉर्जीवा ने जोर देते हुए कहा कि दुनियाभर में कोरोना वायरस से लड़ाई के बीच जीवन बचाने और आजीविका की रक्षा पर साथ में काम किए जाने की जरुरत है.
विशेषज्ञों का कहना है कि जनवरी से लेकर मार्च तक चीन की इकॉनमी पूरी तरह से ठप्प रही. अब पिछले महीने भर से अमेरिका व यूरोप के अधिकतर देश कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बंद हैं. ऐसे में वैश्विक मंदी से बचना कठिन है. विश्व बैंक (World Bank) पहले ही चेता चुका है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण विकासशील देशों पर बहुत बुरा असर पड़ने वाला है.
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