आज दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय टाइगर डे मनाया जा रहा है. वही विश्व के मुकाबले 70 फीसदी टाइगर्स का घर देश में है. वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, ज्यादा संरक्षित आवास के निर्माण, सुरक्षित गलियारे और संसाधनों पर खर्च के माध्यम से भारत 10-15 हजार बाघों को रखने में समर्थ है. उनका कहना है कि हमें बाघों की अधिक आबादी वाले कुछेक क्षेत्रो पर ही अधिक ध्यान न देकर, अन्य संभावित इलाको के डेवेलप पर भी अधिक जोर देना चाहिए. अन्यथा अभी की प्रकार 50 टाइगर रिजर्वों में से सिर्फ 10 से 12 में ही टाइगर्स की संख्या ज्यादा बनी रहेगी, और बाकी सब पिछड़ते चले जाएंगे.
साथ ही विशेषज्ञों का कहना है कि अभी पुरे भारत में टाइगर्स के आवास गलियारों को हाईवे, सड़कों, बिजली लाइनों और खनन जैसी गतिविधियों से अधिक संकट रहता है. लिहाजा, सरकारों को विकास और संरक्षण के मध्य संतुलन की नीति को अधिक एहमियत देनी होगी. सरकार द्वारा लांच किए 2018 की सर्वे रिपोर्ट में भी कहा गया है कि टाइगर्स के ज्यादातर आवासीय गलियारे संरक्षित इलाके नहीं हैं. बढ़ते मानवीय प्रयोग और डेवेलप प्रोजेक्ट की वजह से इनमें कमी आ रही है.
अभी प्राप्त हुई सर्वे रिपोर्ट बताती है कि भारत देश में लगभग 3.81 लाख वर्ग किलो मीटर इलाके टाइगर्स के लिए उचित है, जबकि लगभग 90 हजार वर्ग किमी इलाको में ही टाइगर्स की मौजूदगी है. यानी टाइगर्स के आवास का दायरा बढ़ाने की बेहद क्षमता है, जिससे इनकी संख्या में खुद ब खुद बढ़ोतरी होगी. प्राप्त हुई सुचना के मुताबिक, फिलहाल टाइगर की भौगोलिक सीमा और गैर-संरक्षित जंगलों के मैनेजमेंट में देश का परफॉमेंस उचित नहीं है. बाघ संरक्षण की असली उपलब्धि तब होगी, जब पिछली सदी की भांति पुरे भारत के जंगलों में बाघों का राज हो. और ये करना हमारे लिए बेहद आवश्यक है.
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