अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस आज, जानिए इसका इतिहास

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस आज, जानिए इसका इतिहास
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बाघ अर्थात टाइगर, जंगल का बादशाह तो नहीं लेकिन बादशाह से कम भी नहीं है। आज अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस है तथा प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को इस दिन का आयोजन एक बेहद ही विशेष मकसद के लिए किया जाता है। हर एक दिन पर पुरे विश्व में खतरे में आई इस प्रजाति को बचाने के लिए जनता में जागरुकता फैलाने के इरादे से इस दिन को मनाने की प्रथा आरम्भ हुई। 

वही इस दिन को ग्‍लोबल टाइगर डे के रूप में भी जाना जाता है। दिखने में ये जितना सुंदर है, वास्तव में यह उससे कहीं अधिक खूंखार होता है। कई लोग इसके बाद भी इसे घर में पालने के बारे में कभी न कभी अवश्य सोचते होंगे। मगर क्‍या आप वास्तव में टाइगर को कुत्‍ते या बिल्‍ली की भांति घर में पाल सकते हैं? इंटरनेशनल टाइगर डे के अवसर पर आज इसी के बारे में आपको बताते हैं।

भारत में बाघ एवं शेर को बगैर कानूनी अनुमति के नहीं पाला जा सकता है। वाइल्‍ड लाइफ प्रोटेक्‍शन एक्‍ट के तहत इन जानवरों को व्यक्तिगत रूप से पालने की अनुमति नहीं दी गई है। यदि आप फिर भी शेर या बाघ पालना चाहते हैं तो फिर प्रदेश के चीफ वाइल्‍डलाइफ वॉर्डेन से इसके लिए अनुमति लेनी होगी। आपको इस जानवर की प्रत्येक आवश्यकता को पूरा करना होगा। इसके अतिरिक्त सुरक्षा की पूरी व्यवस्था भी करनी पड़ेगी। यदि कोई दुर्घटना होगी तो फिर आप उसके जिम्‍मेदारी होंगे। यदि भूकंप में आपके घर की दीवार गिर गई, बाघ दीवार तोड़कर फरार हो गया तथा उसने किसी की जान ले ली तो फिर आपको कानूनी कार्यवाही झेलने के लिए तैयार रहना होगा।

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास:-
बता दें कि विश्वभर के सिर्फ 13 देशों में ही बाघ पाए जाते हैं, वहीं इसके 70 प्रतिशत बाघ सिर्फ भारत में हैं। वर्ष 2010 में भारत में बाघों का आंकड़ा 1 हजार 7 सौ के लगभग पहुंच गया था। जिसके पश्चात् लोगों में बाघों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए वर्ष 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाए जाने का ऐलान किया गया। इस सम्मेलन में कई देशों ने 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का उद्देश्य रखा है।

 

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