आप सभी को बता दें कि 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. ऐसे में आज आप अपने ख़ास माँ, बहन, प्रेमिका, दोस्त को यह कवितायें भेज सकते हैं जो उन्हें प्रेरित करने का काम करेंगी.
*नारी का गुणगान ना आँको भैया
नारी तो बस नारी है.
अनंत काल से आज तक
नारी ही रही है
जिसने हर
कठिन समय में भी
कंधे से कंधा मिला
दिया पुरुषों का साथ.
फिर भी पुरुषप्रधान
इस देश में ना
मिल सका
नारी को मान...
नारी तो बस नारी है.
प्यार और दुलार की मूर्ति नारी
ममता की मूर्ति है न्यारी
बच्चों से लेकर बूढ़ों तक
सभी को सँवारती है
यह नारी.
कभी सास तो कभी बहू
कभी बेटी तो कभी माँ
बनकर हर उम्मीद पर
खरी उतरती है नारी.
नारी तो बस नारी है
उसकी महिमा जो
समझ जाएँ
वह इस दुनिया से तर जाएँ
नारी का सम्मान करो
उसे भी उड़ने दो
गगन में अपनी स्वतंत्रता से
और फिर देखो
नारी का असली रूप
जो कभी दुर्गा, तो कभी सरस्वती
कभी लक्ष्मीबाई तो कभी कालका
का रूप दिखाकर
खरी उतरती है नारी.
नारी तो बस नारी है
उसकी महिमा जो
समझ जाएँ
वह इस दुनिया से तर जाएँ
नारी का सम्मान करो
उसे भी उड़ने दो
गगन में अपनी स्वतंत्रता से
और फिर देखो
नारी का असली रूप
जो कभी दुर्गा, तो कभी सरस्वती
कभी लक्ष्मीबाई तो कभी कालका
का रूप दिखाकर
*ना जाने क्यूं लड़कियों के अपने घर नहीं होते
जो उड़ना चाहें अंबर पे, तो अपने पर नहीं होते
आंसू दौलत, डाक बैरंग, बंजारन-सी जिंदगानी
सिवा गम के लड़कियों के जमीनो-जर नहीं होते
ख्वाब देखे कोई वो, उनपे रस्मों के लाचा पहरे
लड़कियों के ख्वाब सच पूरे, उम्रभर नहीं होते
हौंसलों के ना जेवर हैं, हिफाजत के नहीं रिश्ते
शानो-शौकत होती अपनी, झुके से सर नहीं होते
बड़ी नाजुक मिजाजी है, बड़ा मासूम दिल इनका
जो थोड़ी खुदगरज होतीं, किसी के डर नहीं होते
कभी का मिलता हक इनको सियासत के चमन में भी
सियासत की तिजारत के जो लीडर सर नहीं होते
लड़कियों की धड़कनों पे निगाहें मां की भी कातिल
कोख में मारी न जातीं जो मां के चश्मेतर होते
*नारी
नारी तुम आस्था हो तुम प्यार, विश्वास हो,
टूटी हुयी उम्मीदों की एक मात्र आस हो,
अपने परिवार के हर जीवन का तू आधार हो,
इस बेमानी से भरी दुनिया में एक तुम ही एक मात्र प्यार हो,
चलो उठों इस दुनिया में अपने अस्तित्व को संभालो,
सिर्फ एक दिन ही नहीं,
बल्कि हर दिन नारी दिवस मना लो.
*कौन कहता हैं
कौन कहता हैं की,
नारी कमज़ोर होती है.
आज भी उसके हाथ में,
अपने सारे घर को चलाने की डोर होती है.
वो तो दफ्तर भी जाती हैं,
और अपने घर परिवार को भी संभालती हैं.
एक बार नारी की ज़िंदगी जीके तो देखों,
अपने मर्द होने के घमंड यु उतर जायेंगा,
अब हौसला बन तू उस नारी का,
जिसने ज़ुल्म सहके भी तेरा साथ दिया.
तेरी ज़िम्मेदारियों का बोझ भी,
ख़ुशी से तेरे संग बाट लिया.
चाहती तो वो भी कह देती, मुझसे नहीं होता.
उसके ऐसे कहने पर,
फिर तू ही अपने बोझ के तले रोता.
*क्योंकि नारी महान होती है.
मन ही मन में रोती फिर भी बाहर से हँसती है
बार-बार बिखरे बालों को सवारती है
शादी होते ही उसका सब कुछ पीछे छुट जाता है
सखी – सहेली,आजादी, मायका छुट जाता है
अपनी फटी हुई एड़ियों को साड़ी से ढँकती है
स्वयं से ज्यादा वो परिवार वालों का ख्याल रखती है
सब उस पर अपना अधिकार जमाते वो सबसे डरती है.
शादी होकर लड़की जब ससुराल में जाती है
भूलकर वो मायका घर अपना बसाती है
जब वो घर में आती है तब घर आँगन खुशियो से भर जाते हैं
सारे परिवार को खाना खिलाकर फिर खुद खाती है
जो नारी घर संभाले तो सबकी जिंदगी सम्भल जाती है
बिटिया शादी के बाद कितनी बदल जाती है.
आखिर नारी क्यों डर-डर के बोलती, गुलामी की आवाज में?
गुलामी में जागती हैं, गुलामी में सोती हैं
दहेज़ की वजह से हत्याएँ जिनकी होती हैं
जीना उसका चार दीवारो में उसी में वो मरती है.
जिस दिन सीख जायेगी वो हक़ की आवाज उठाना
उस दिन मिल जायेगा उसके सपनो का ठिकाना
खुद बदलो समाज बदलेगा वो दिन भी आएगा
जब पूरा ससुराल तुम्हारे साथ बैठकर खाना खायेगा
लेकिन आजादी का मतलब भी तुम भूल मत जाना
आजादी समानता है ना की शासन चलाना
रूढ़िवादी घर की नारी आज भी गुलाम है
दिन भर मशीन की तरह पड़ता उस पर काम है
दुःखों के पहाड़ से वो झरने की तरह झरती है
क्योंकि नारी महान होती है.
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