नई दिल्ली : बाजार नियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आज निवेशकों को 50,000 रुपये तक कीमत वाले म्यूचुअल फंड डिजिटल वालेट के जरिए खरीदने की मंजूरी दे दी. सेबी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की आज यहां हुई बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. यही नहीं आज सेबी ने जिन 4 बड़े फैसलों को मंजूरी दी उसके बाद बाद शेयर बाजार, कमोडिटी बाजार, ब्रोकरों, म्यूचुअल फंडो के कारोबार में बहुत से बदलाव आएँगे.
सेबी से मिली जानकारी के अनुसार म्युचुअल फंडों में हर साल 50,000 रुपये तक का निवेश ई-वालेट के जरिए किया जा सकेगा. हालांकि इस तरह के निवेश का रिडेम्पशन तो पालिसीधारक के बैंक खाते में ही होगा. यानी भले ही आप ई-वॉलेट के जरिए म्यूचुअल फंड खरीद लें, लेकिन आपका एमएफ मैच्योर होने या बीच में रिडीम कराने की दशा में आपके बैंक खाते में ही राशि आएगी.
इसके अलावा सेबी ने जो चार अहम फैसले लिए हैं उनमें म्यूचुअल फंड में ई-वॉलेट के जरिए निवेश की अनुमति के अलावा दूसरा यह कि कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के कारोबार की मंजूरी भी दे दी है. रेगुलेटर का इरादा इसके जरिये बाजार को गहरा बनाना और लिक्विडिटी को बढ़ाना है. चेयरमैन अजय त्यागी के अनुसार यह जिंस डेरिवेटिव्स बाजार को और गहरा करने की दिशा में एक काफी बड़ा कदम है.
तीसरा फैसला सेबी ने अब से ब्रोकरों और क्लियरिंग सदस्यों को जिंस डेरिवेटिव के साथ शेयर बाजार में कामकाज करने के लिए एकल लाइसेंस देने का फैसला किया है.अब प्रतिभूति बाजार में कामकाज करने वाले ब्रोकर या क्लियरिंग सदस्य को अलग इकाई स्थापित किए बिना जिंस डेरिवेटिव्स में खरीद-बिक्री या सौदा करने की अनुमति होगी.
जबकि चौथा यह कि सेबी ने कॉर्पोरेट बांड बाजार को विस्तार और मजबूती देने की अपनी कोशिशों के तहत डेट सिक्योरिटीज के लिए नये ढांचे को भी आज मंजूरी दी. इसके तहत आईएसआईएन की न्यूनतम संख्या के जरिए कॉर्पोरेट बांड के लिए सेकेंडरी मार्केट में लिक्विडिटी बढाई जाएगी.
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