पिछले वर्ष शेयर बाजारों की रौनक ने बीएसई के निवेशकों को अपनी संपत्ति में 11 लाख करोड़ रुपये जोड़ने का मौका दिया। इस दौरान सेंसेक्स में करीब 15 परसेंट का इजाफा हुआ। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में जबरदस्त उछाल देखा गया। इस दौरान यह 11,05,363.35 करोड़ रुपये उछलकर 1,55,53,829.04 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर तक जा पहुंचा।बीता वर्ष ग्लोबल और घरेलू दोनों स्तरों पर काफी हलचलों से भरा रहा। अमेरिका-चीन में व्यापार विवाद के बाद ट्रेड-डील को लेकर कयासों का बाजार लगातार गर्म रहा। इस दौरान वर्ष के अंत में प्राथमिक समझौते को लेकर दोनों देशों ने सहमति भी जता दी। घरेलू स्तर पर जीडीपी ग्रोथ को लेकर चिंता देखी गई। इसके अलावा कॉरपोरेट टैक्स में कटौती जैसे बड़े और महत्वपूर्ण फैसलों का असर भी बाजार पर पड़ा। रेलिगेयर ब्रोकिंग के वीपी (रिसर्च) अजीत मिश्र के मुताबिक ब्लूचिप कंपनियों के स्टॉक्स में तेजी की बदौलत शेयर बाजारों ने समग्र रूप से उछाल दर्ज किया।हालांकि इस दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट हुई, मगर बाजार ज्यादा प्रभावित नहीं हुए। इससे पहले 2018 में सेंसेक्स ने 2,011 अंको की तेजी दर्ज की थी। पिछले वर्ष देश के प्रमुख शेयर बाजारों ने उल्लेखनीय तेजी दर्ज की। लेकिन यह तेजी कुछ बड़े ग्रुप्स के स्टॉक्स तक सीमित रही। इस दौरान स्माल कैप और मिड कैप रिटर्न देने में विफल रहे, जबकि सेंसेक्स और निफ्टी के स्टॉक्स ने 15 परसेंट रिर्टन दिया। शेयर बाजारों के प्रतिभागियों के मुताबिक 2019 बाजार की शीर्ष कंपनियों को समर्पित रहा। इस दौरान छोटे स्टॉक्स निवेश आकर्षित करने में विफल रहे।कोटक सिक्युरिटीज के रिसर्च हैड रस्मिक ओजा के मुताबिक पिछले वर्ष बाजारों की चमक में ज्यादातर योगदान विदेशी निवेशकों का रहा। इन निवेशकों ने छोटे स्टॉक्स में कोई रुचि नहीं दिखाई। इस दौरान
एफपीआइ ने घरेलू इक्विटीज में 1,440 करोड़ डॉलर (करीब एक लाख करोड़ रुपये) का निवेश किया, जिसके चलते निफ्टी से दोहरे अंकों में रिटर्न मिला है। फिलहाल निफ्टी का अधिकतर रिटर्न सितंबर में की गई कॉरपोरेट टैक्स में छूट के बाद आया। जानकारों के मुताबिक छोटे स्टॉक्स को ज्यादातर स्थानीय निवेशकों ने खरीदा, जबकि विदेशी निवेशकों ने ब्लूचिप शेयरों में रुचि ली। अगर जनवरी, जुलाई और अगस्त को छोड़ दें, तो शेयर बाजारों के उछाल में विदेशी निवेशकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पिछले वर्ष बीएसई के मिड कैप में तीन परसेंट की गिरावट आई, जबकि स्माल कैप में सात परसेंट की गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स करीब 5,000 अंक यानी 15 परसेंट का इजाफा करने में सफल रहा और 40,000 का मनोवैज्ञानिक आंकड़ा भी पार कर गया। सेंसेक्स ने पिछले वर्ष एक और उपलब्धि हासिल की।बीएसई के इस सूचकांक ने 20 सितंबर को 1,921 अंकों का उछाल दर्ज किया। यह एक दशक का सबसे बड़ा एकदिनी उछाल था।बीते वर्ष 19 फरवरी को सेंसेक्स 52 सप्ताह के निचले स्तर पर रहा, जबकि 20 सितंबर को यह अपने सार्वकालिक उच्च स्तर 41,809.96 पर पहुंचने में सफल रहा। इस दौरान 23 अगस्त को मिड कैप 12,914.63 और स्मॉल कैप 11,950.86 पर रहा, जो इन दोनों का निचला स्तर था। जानकारों के अनुसार इकोनॉमिक ग्रोथ के कम रहने के चलते मिड कैप और स्मॉल कैप पर अधिक दबाव देखा गया। इसके अलावा कुछ मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में प्रशासनिक गड़बडि़यों से निवेशकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
इनसे मिलेगी बाजार को दिशा- 2020-21 के आम बजट की घोषणाएं- अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे- चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड एग्रीमेंट- ब्रेक्जिट पर अमल और इसके तौर-तरीके बाजार के लिए बड़ी चुनौतियां- कच्चे तेल की कीमतों में बड़ा उतार-चढ़ाव- राजकोषषीय मोर्चे पर सरकार की मुश्किलें- डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ जारी महाभियोग - बैंकिंग व एनबीएफसी सेक्टर की स्थिति
इस वर्ष के लिए विशेषज्ञों की राय
बुनियादी चीजें मजबूत - सितंबर, 2019 में कॉरपोरेट टैक्स घटाए जाने के बाद घरेलू बाजार का सेंटीमेंट मजबूत हुआ। हमारा मानना है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार और आरबीआइ ने जो कदम उठाए हैं, उनका असर दिखने में वक्त लगेगा। तमाम चुनौतियों के बावजूद लंबी अवधि के नजरिए भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादी चीजें मजबूत हैं।
छोटी अवधि में गिरावट संभव -हमें उम्मीद है कि वित्त वषर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था सुधरेगी और बाजार की तेजी व्यापक होगी। फिलहाल शेयरों का वैल्यूएशन ज्यादा है, लिहाजा छोटी अवधि में बाजार कुछ गिर सकता है। लेकिन, लंबी अवधि में रझान मजबूत बने रहने की संभावना है।
असर दिखाएंगे हाल के फैसले -हमें लगता है कि नए साल में शेयर बाजार का रझान मजबूत बना रहेगा। कारण यह है कि सरकार के हालिया फैसले अर्थव्यवस्था पर असर दिखाना शुरू करेंगे। इसके अलावा अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी सकरात्मक कदम उठाए हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था भी धीरे-धीरे पटरी पर लौटेगी, जिसका असर शेयर बाजार पर नजर आएगा।
जारी रहेगा मजबूत रझान -पिछले चार महीनों में जो तेजी का रझान हमने देखा है, उसे 2020 में रफ्तार मिल सकती है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि नए साल की दूसरी छमाही के दौरान आय के मामले में जोरदार रिकवरी होगी। वैश्विक बाजारों में मजबूत रझान और सरकार की तरफ से किए जा रहे आर्थिक सुधार इसकी वजह होंगे।
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