इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन एसोसिएशन (IPGA) के अनुसार, सरकार के कृषि बुनियादी ढांचे और आयातित उपकरों पर 20-50 प्रतिशत का उपकर लगाने के सरकार के फैसले का कीमतों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि उपकर में सीमा शुल्क को कम करके निष्प्रभावी कर दिया जाएगा। बजट 2021 में, सरकार ने मटर, काबुली चना, बंगाल चना और मसूर पर आयात शुल्क घटाकर 10 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया। वर्तमान में चना पर ड्यूटी 60 प्रतिशत, मटर 50 प्रतिशत, काबुली चना 40 प्रतिशत और मसूर मसूर 30 प्रतिशत पर है।
आईपीजीए के वाइस चेयरमैन बिमल कोठारी ने कहा, यह प्रभाव शून्य है। हमने यथास्थिति जारी नहीं की है। यथास्थिति जारी नहीं की गई है। उपकर शुल्क की चार श्रेणियों पर 10 प्रतिशत की दर से आयात शुल्क कम करने से उपकर की राशि निष्प्रभावी हो गई है। एसोसिएशन चाहता है कि सरकार सस्ती शिपमेंट की जांच करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक दालों पर आयात शुल्क रखे। सरकार ने मसूर मसूर पर कृषि अवसंरचना और विकास उपकर 20 प्रतिशत, काबुली चना पर 30 प्रतिशत मटर पर 40 प्रतिशत और बंगाल चना और छोले पर 50 प्रतिशत लगाने का प्रस्ताव किया है।
कोठारी ने कहा कि घरेलू उत्पादन बढ़ने के मद्देनजर 2016-17 में देश का दलहन आयात 60 लाख टन के स्तर से पिछले तीन वर्षों से घट रहा है। उन्होंने कहा कि दालों का आयात 2020-21 की अप्रैल-जनवरी की अवधि में 20 लाख टन कम रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 26 लाख टन था।
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