इंडियन प्रीमियर लीग यानी आइपीएल दुनिया की सबसे महंगी और शीर्ष स्तर की लीग है. पिछले एक दशक में इस लीग ने काफी नाम कमाया है. इस लीग में सिर्फ खिलाड़ियों पर ही नहीं, बल्कि टीम और बीसीसीआइ पर भी पैसों की बारिश होती है. आइपीएल 2020 का आयोजन 29 मार्च से होना था, लेकिन कोरोना वायरस के कारण इस लीग को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा है, लेकिन अब इस लीग के आयोजन की रूप-रेखा फिर से बनाई जा रही है. वैश्विक स्तर पर महामारी को देखते हुए हाल-फिलहाल में आइपीएल के 13वें सीजन का आयोजन संभव नहीं है, लेकिन अगले कुछ महीने बाद यानी साल के आखिर में इस लीग का आयोजन संभव है. कई रिपोर्टों ने सुझाव दिया है कि 4000 करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान से बचने के लिए BCCI साल के आखिर में टूर्नामेंट की मेजबानी करने की पूरी कोशिश कर रहा है. ये सच भी है, लेकिन बीसीसीआइ के कोषाध्यक्ष ने आलोचकों को करारा जवाब दिया है.
आइपीएल को अक्सर 'पैसा बनाने वाली मशीन' कहा जाता है. इस टूर्नामेंट ने टी 20 क्रिकेट का चेहरा बदल दिया है, लेकिन यह कई व्यक्तियों द्वारा एक मात्र व्यवसाय के रूप में देखा जाता है. कई लोगों ने इस साल टूर्नामेंट की मेजबानी करने के लिए बीसीसीआइ की मंशा पर व्यक्तिगत वित्तीय लाभ का संदेह किया है. ऐसे में बोर्ड के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने कहा है कि आइपीएल का पैसा खिलाड़ियों को जाता है, न कि बीसीसीआइ के अधिकारियों को. धूमल ने कहा कि आइपीएल ने बोर्ड और खिलाड़ियों को वित्तीय स्थिरता प्रदान की है, जबकि क्षेत्र के बाहर के हजारों लोगों को भी रोजगार प्रदान कर उन्हें लाभान्वित किया है. इसके अलावा बीसीसीआइ कोषाध्यक्ष ये भी मानते हैं कि आइपीएल ने यात्रा और पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा दिया है. क्रिकबज से बात करते हुए धूमल ने कहा है, 'यह पूरी चर्चा है कि आइपीएल एक पैसा बनाने वाली मशीन है, इसलिए यह बनो. उस पैसे को कौन लेता है? वह पैसा खिलाड़ियों के पास जाता है, वह पैसा किसी भी पदाधिकारियों के पास नहीं जाता है. वह धन राष्ट्रों के कल्याण, यात्रा और पर्यटन उद्योग, करों के भुगतान के संदर्भ में, पुनर्जीवित होने वाले उद्योगों के संदर्भ में जाता है.'
उन्होंने आगे कहा है, 'तो पैसे के लिए विरोध क्यों? खिलाड़ियों और टूर्नामेंट का आयोजन करने के लिए वहां मौजूद सभी लोगों को पैसे दिए जाते हैं. मीडिया को रुख बदलना होगा और इस टूर्नामेंट के लाभ के बारे में बताना होगा जो हो रहा है. यदि बीसीसीआइ टैक्स के रूप में हजारों करोड़ का भुगतान कर रहा है, तो यह राष्ट्र-निर्माण में जा रहा है, यह सौरव गांगुली या जय शाह या खुद को नहीं जा रहा है. ऐसे में आपको खुश होना चाहिए कि खेल पर पैसा खर्च किया जा रहा है.
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