लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा के बाद अब सोशल मीडिया पर तमाम वीडियो और फोटो वायरल हो रहे हैं। अब इन सभी के बीच एक वीडियो सामने आया है और इस वीडियो में थाने के भीतर पुलिसकर्मी कुछ लोगों को पीटते हुए नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि पुलिस से पिट रहे लोग बीते दिनों हुई हिंसा मामले में गिरफ्तार उपद्रवी हैं। ऐसे में अब पिटाई के इस वीडियो को लेकर बहस छिड़ गई है। जी हाँ, कुछ लोग इसके समर्थन में हैं तो कुछ लोग इस मामले में विरोध जता रहे हैं। जी हाँ और अब इसी को लेकर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के सीनियर अफसरों के ट्विटर पर बीच वाद-विवाद छिड़ गया। जी दरअसल, पुलिस स्टेशन में लोगों को पीटे जाने का वीडियो ट्विटर पर शेयर करते हुए केरल के पुलिस महानिदेशक (DGP) रह चुके डॉ। एनसी अस्थाना ने लिखा, ''अत्यंत ही मनोहारी दृश्य! सुन्दर, अतीव सुन्दर! हेकड़ी ऐसे ही निकलती है!''
Sir, with due respect, custodial violence is not something to rejoice about. Assaulting anyone detained in a police station is not some act of bravery. It's a crime. Let's not glorify an illegal practice.
— Arun Bothra ???????? (@arunbothra) June 12, 2022
Courts have the authority and duty to punish guilty, not Police. https://t.co/iIdO10658p
वहीं इस पर आपत्ति जताते हुए ओडिशा कैडर के आईपीएस अफसर अरुण बोथरा ने लिखा, ''सर, उचित सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि हिरासत में हिंसा कोई खुशी की बात नहीं है। पुलिस थाने में हिरासत में लिए गए किसी शख्स को पीटना कोई बहादुरी का काम नहीं है। यह एक अपराध है। गैर कानूनी आचरण का महिमामंडन न करें। अदालतों के पास दोषियों को दंडित करने का अधिकार और कर्तव्य है, पुलिस का नहीं।'' दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बीते शनिवार रात एक वीडियो को ट्विटर पर शेयर किया और लिखा, ''उठने चाहिए ऐसी हवालात पर सवालात , नहीं तो इंसाफ़ खो देगा अपना इकबाल। ''
उनके इसी ट्वीट में उन्होंने आगे लिखा कि यूपी हिरासत में मौतों के मामले में नंबर-1 स्थान पर है। इसी के साथ अखिलेश ने यह भी आरोप लगाया कि यूपी मानवाधिकार हनन में अव्वल है और दलित उत्पीड़न में सबसे आगे है। दूसरी तरफ वीडियो शेयर करते हुए बीजेपी विधायक शुलभ मणि त्रिपाठी ने ट्विटर पर लिखा, ''बलवाइयों को रिटर्न गिफ्ट!!'' अब इस वीडियो को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है और इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर अलग अलग दावे किए जा रहे हैं। यह वीडियो कानपुर और प्रयागराज हिंसा के बाद हुई पुलिस कार्रवाई का बताया जा रहा है, लेकिन कई लोग इस घटना को सहारनपुर कोतवाली का बता रहे हैं। हालाँकि अब तक वीडियो को लेकर कुछ साफ नहीं हो पाया है।
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