श्रीनगर: देश ने दो दिन पहले ही कारगिल विजय दिवस (26 जुलाई) मनाया था। जब हमारे बहादुर जवानों ने पहाड़ों की दुर्गम चोटियों पर मुजाहिदीनों के वेश में आई पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे और तिरंगा फहराया था। लेकिन, इस दौरान देश ने कई वीर सपूतों को खोया था, तब जाकर विजयश्री प्राप्त हुई थी। अब जम्मू कश्मीर में एक बार फिर उसी तरह के युद्ध की आहट सुनाई देने लगी है। पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के एक जाने माने एक्टिविस्ट डॉ अमजद अयूब मिर्ज़ा ने हाल ही में जम्मू कश्मीर में बढे आतंकी हमलों को लेकर खुलासा किया है। उन्होंने बताया है कि, ये हमले आतंकी नहीं बल्कि पाकिस्तानी सेना द्वारा किए जा रहे हैं। अमजद मिर्ज़ा के मुताबिक़, SSG जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल आदिल रहमानी जम्मू क्षेत्र में हमलों को अंजाम दे रहा है।
1. Allegedly SSG General Officer Commanding (GOC) Maj General Adil Rehmani is conducting the attacks in Jammu region.
— Amjad Ayub Mirza (@AMirza86155555) July 27, 2024
2. one whole SSG battalion is said to have infiltrated that means at least 600 commandos are in Kupwara region and else where.
3. local jihadi sleeper cells… pic.twitter.com/ZI1yz63GdP
उन्होंने ये भी बताया है कि SSG की एक पूरी बटालियन ने भारत में घुसपैठ कर ली है, इसका मतलब है कि कम से कम 600 कमांडो कुपवाड़ा क्षेत्र और अन्य जगहों पर छिपे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि, कुपवाड़ा क्षेत्र, पीरपंजाल और शम्सबरी पर्वत के बीचों बीच स्थित है, जो आतंकियों और पाकिस्तानी सेना के छिपने के लिए बेहद मददगार है। इसके अलावा डॉ अमजद ने ये भी बताया है कि, इन हमलों में स्थानीय जिहादी भी आतंकियों और पाकिस्तानी सेना का साथ दे रहे हैं। ये स्थानीय जिहादी स्लीपर सेल, जम्मू कश्मीर में पूरी तरह सक्रिय हैं और भारतीय क्षेत्र के अंदर SSG की आवाजाही में सहायता कर रहे हैं। अमजद के अनुसार, पाकिस्तानी फ़ौज का लेफ्टिनेंट कर्नल शाहिद सलीम जंजुआ इस समय जम्मू में हमलों की कमान संभाल रहा है। पाकिस्तान का पूरा प्लान भारतीय सेना की 15 कोर से भिड़ने का है। XV कोर , या 15 कोर , जिसे चिनार कोर के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय सेना की एक कोर है, जो वर्तमान में श्रीनगर में स्थित है और कश्मीर घाटी में सैन्य अभियानों के लिए जिम्मेदार है। डॉ अमजद ने बताया है कि, इसके आल्वा SSG की दो और बटालियन मुजफ्फराबाद (PoK) में हैं और जम्मू-कश्मीर के रास्ते भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने के लिए तैयार हैं। एक बटालियन में लगभग 500 जवान शामिल होते हैं। यदि स्थानीय जिहादियों की मदद से पाकिस्तान की ये बटालियन भी भारत में दाखिल हो जाती हैं, तो एक बार फिर पीर पंजाल की पहाड़ियों में कारगिल जैसे युद्ध की आशंका बन रही है। ध्यान रहे कारगिल युद्ध के समय भी पाकिस्तान के लगभग 5000 सैनिक भारतीय क्षेत्र में घुस आए थे और पहाड़ की चोटियों से भारतीय जवानों को निशाना बनाया था। इसमें आतंकी भी पाकिस्तान के साथ लड़ रहे थे, 62 दिन तक चले युद्ध में भारत ने 527 जवानों का बलिदान देकर कारगिल की चोटियों पर कब्ज़ा किया था। अब एक बार फिर पीर पंजाल की पहाड़ियों में पाकिस्तानी फ़ौज और आतंकियों का गठजोड़ देखने को मिल रहा है, जिसमे स्थानीय जिहादी भी उनकी मदद कर रहे हैं। सुरक्षा से जुड़े लोगों का मानना है कि, पीर पंजाल में कारगिल से भी बड़ा युद्ध हो सकता है।
पीर पंजाल ही क्यों ?
पीर पंजाल पर्वतमाला (Pir Panjal Range) हिमालय की एक रेंज है, जो भारत के हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) तक जाती है। जिससे आतंकियों और पाकिस्तानी सेना के लिए इस रास्ते घुसपैठ करना आसान हो जाता है। पीर पंजाल निचले हिमालय की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखला भी है और यह काफी ऊंची है। बताया जा रहा है कि आतंकवादियों और पाकिस्तानी सैनिकों ने यहाँ पहाड़ियों की गुफाओं के अंदर कई ठिकाने बना लिए हैं। उन्होंने प्रवासी बक्करवालों के ढोक (मनुष्यों और मवेशियों के लिए आश्रय) में बंकर बनाए हैं और स्थानीय जिहादियों के साथ मिलकर एक संचार नेटवर्क भी स्थापित कर लिया है। आतंकवादियों ने शिविर स्थापित करने के लिए इस क्षेत्र को जानबूझकर चुना है, घने जंगल और खड़ी पहाड़ी ढलानों वाला इलाका आतंकियों के लिए मददगार रहता है। ये पहाड़ियां हैं लगभग 15 हजीर फीट की ऊंची है, इसके अंदर हजारों की तादाद में गुफाएं हैं, डोग है और उसके भीतर अंडरग्राउंड बंकर भी हैं। पहले भी जब भारतीय सैनिक इस इलाके में में तलाशी लेते थे, तो आतंकी वहां छिपने में कामयाब रहते थे और मुठभेड़ की स्थिति में भारी पड़ते थे, जिसके चलते सुरक्षाकर्मियों को जान गंवानी पड़ती थी।
क्या है भारत की तैयारी :-
भारत को भी इस बारे में इंटेलिजेन्स रिपोर्ट मिल चुकी है, जिसके लिए 4 साल बाद इस क्षेत्र में भारतीय सेना की वापसी हुई है। पहले यहाँ सिर्फ सीमा सुरक्षा बल (BSF) की तैनाती थी। 2020 में चीन के साथ टकराव के बाद जवानों को जम्मू रीजन से हटाकर लद्दाख में लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) में तैनात किया गया था। साथ ही भारतीय सेना ने अतिरिक्त तौर पर PERA SF के 3000 जवान, 500 कमांडो, 200 स्नाइपर्स और बाकी J&K पुलिस के जवान इस इलाके में उतार दिए हैं और उड़ीसा से BSF की दो बटालियन को भी जम्मू भेजा गया है। इसके अलावा एक हेडक्वार्टर ब्रिगेड, तीन इन्फैंट्री बटालियन और कुछ एलीट पैरा स्पेशल फोर्स के जवानों को तैनात किया गया है, साथ ही CAPF की कंपनियां भी वहां लगातार पहुँच रहीं हैं। भारतीय सेना ने पहाड़ियों की गुफाओं में छिपे आतंकियों और पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराने के लिए ऑपरेशन सर्प विनाश 2।0 शुरू किया है। जो बीते 21 वर्षों में सबसे बड़ा आतंकवाद विरोधी अभियान है, और इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की सीधी निगरानी है। इसकी रिपोर्ट लगातार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल और सेना प्रमुख को भेजी जा रही है।
इसके साथ ही भारतीय सेना ने ग्राम रक्षा गार्ड (VDG) को भी सक्रीय कर दिया है, जिन्होंने 1995 से 2003 के बीच जम्मू में आतंकवाद को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन VDG को स्थानीय क्षेत्र और यहां की चुनौतियों की पूरी समझ है, इसलिए सेना और सुरक्षा बल आतंकवादियों के छिपे होने वाले दुर्गम इलाकों तक पहुंचने में उनकी सहायता ले रहे हैं। सैन्य सूत्रों के अनुसार, पहाड़ी इलाकों के 80 किमी दायरे में जवान तैनात हो चुके हैं और उन्होंने नदियों, बरसाती नालों, घुसपैठ के पुराने रास्तों को पूरी तरह अपने कब्जे में ले लिया है। इसके साथ ही पूरे जम्मू कश्मीर में ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) की धरपकड़ भी जारी है, जो आतंकियों को पनाह, खाना-पानी मुहैया कराते हैं और उन्हें सेना के मूवमेंट की खबर भी देते हैं। लेकिन इन OGW को पकड़ना सेना के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि एक सामान्य सा दिखने वाला दुकानदार भी OGW हो सकता है, जो सिर्फ मजहबी कट्टरपंथ में अँधा होकर आतंकियों की मदद करने में लगा हुआ है और देश के साथ गद्दारी कर रहा है। इसके लिए सेना ने अपने ख़ुफ़िया सूत्रों को सक्रीय कर दिया है और कार्रवाई जारी है।
चुनावी नतीजों के बाद अचानक बढ़ी आतंकी घटनाएं :-
ये तो स्पष्ट है कि भारत के चुनावी परिणामों से पाकिस्तान और आतंकी बौखलाए हुए हैं और अब वे जम्मू कश्मीर को अशांत करने के लिए लगातार हमले कर रहे हैं। पर अब वे बड़े अटैक की तैयारी में नज़र आ रहे हैं, जिससे देशभर में बवाल मच जाए। बताया जा रहा है कि, इसमें चीन भी आतंकियों का साथ दे रहा है। बीते कुछ दिनों में जो आतंकी मारे गए हैं, उनके पास से चीनी हथियार बरामद हुए हैं। बीते एक महीने के भीतर आतंकी घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। सबसे पहले तो नई सरकार के शपथ ग्रहण वाले दिन 9 जून को आतंकियों ने जम्मू के रियासी में श्रद्धालुओं से भरी बस को निशाना बनाया था, जिसमें 9 लोगों की जान चली गई थी, इसमें एक OGW हाकम दीन पकड़ाया था, जिसने खाना-पानी से लेकर पूरी साजिश रचने में आतंकियों की मदद की थी। 11 जून को कठुआ के एक गांव में आतंकी घुस आए थे, जिसमे सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को ढेर कर दिया था। 12 जून को आतंकियों ने डोडा जिले में सेना के अस्थायी ऑपरेटिंग बेस पर गोलीबारी की थी, जिसमे सेना के दो जवान जख्मी हो गए थे और एक आतंकी मारा गया, बाकी भाग गए। 6 जुलाई को कुलगाम के दो गावों में हुई मुठभेड़ में दो जवान बलिदान हुए थे।
इसके बाद आतंकियों ने कठुआ में 8 जुलाई को सेना की गाड़ी को निशाना बनाया, जिसमें 5 जवान बलिदान हो गए थे। नौशेरा में 10 जुलाई को आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन सुरक्षाबलों ने उसे नाकाम कर दिया था। फिर 16 जुलाई को आतंकियों के साथ एनकाउंटर में सुरक्षाबलों के 4 जवान वीरगति को प्राप्त हुए और एक पुलिसकर्मी की भी जान चली गई। इस प्रकार चुनावों के बाद बीते एक महीने में आतंकी 7 बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं, जिनमें 12 जवान बलिदान हुए हैं और 9 आम नागरिकों की जान गई है, जबकि सिर्फ 5 आतंकी मारे गए हैं। ये आतंकी हमला करने के बाद फ़ौरन कहीं भागकर छिप जाते हैं, जिसमे स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें मदद दिए जाने की आशंका है। घाटी में बीते दिनों एक ऐसा घर मिला था, जिसकी अगर सुरक्षाबल पुरी तलाशी भी ले लें, तो भी वे आतंकी को ना पकड़ पाएं और आतंकी हमला करने के बाद वहां आसानी से छिप सकें। उस घर में अलमारी के अंदर बंकर बनाया गया था, जिसमे 4-5 आतंकी हथियार सहित छिप सकते थे और बाहर वालों को कुछ पता नहीं चलता। माना जा रहा है कि, सूबे में ऐसे और भी घर हो सकते हैं। पर फ़िलहाल सुरक्षाबलों का पूरा ध्यान, पहाड़ों में छिपे आतंकियों के खात्मे पर है, साथ ही उनके मददगारों को भी दबोचा जा रहा है।
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