शोधकर्ताओं ने कहा कि लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन में प्रकाशित निष्कर्षों से यह समझाने में मदद मिल सकती है कि अश्वेत अमेरिका,ब्रिटेन और कुछ अन्य देशों में कोविड-19 से क्यों ज्यादा पीड़ित हैं. वही, डॉ रिचर्ड वेंडर हेइड ने कहा कि, "हमने पाया कि फेफड़ों की कोशिकाओं में रक्त के थक्के संबधी रक्तस्राव ने रोगियों की मृत्यु में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उनमें डी-डिमर्स नामक रक्त मार्कर भी पाया, जो शरीर में रक्त के थक्के की वजह बन सकता है.
कोरोना वायरस रोगियों का इलाज करने वाले डॉक्टर रिपोर्ट कर रहे हैं कि मरीज के शरीर में रक्त के थक्के हैं। कुछ शुरुआती अध्ययनों से पता चला है कि एंटीकोआगुलंट के साथ रोगियों का इलाज करने में मदद मिल सकती है. बता दें कि तीन से सात दिन की हल्की खांसी और बुखार होने के बाद सभी 10 मरीज अस्पताल आए। फिर अचानक सांस लेने की समस्या के कारण बुरी तरह पस्त हो गए है.
वेंडर हेयड ने कहा कि कोरोनो वायरस इन रोगियों के लिए काफी भयानक साबित हो सकता है. वहीं, वायरस की वजह से रोगियों में साइटोकिन और रक्त के थक्के बनने की संभावना हो सकती है. माना जा रहा कि यह समस्या आनुवंशिक हैं. वहीं, पैथोलॉजिस्ट ने जो नहीं देखा जैसे दिल में सूजन आदि कोरोनो वायरस का प्रमाण है. ऐसी ही संभावना चीन में डॉक्टरों ने अपने रोगियों में देखी थी.
BBC Proms 2020: रॉयल अल्बर्ट हॉल में होगा भव्य आयोजन, तैयारियां शुरू
अब महामारी से लड़ने के लिए आम लोगों से मदद लेगा WHO, किया नया फंड बनाने का ऐलान
बांग्लादेश के कोरोना अस्पताल में लगी भीषण आग, 5 लोगों की झुलसकर मौत