कालाष्टमी हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। वही इस बार फाल्गुन मास की कालाष्टमी 15 फरवरी दिन शनिवार को पड़ रही है। इसके साथ ही काल अष्टमी के दिन भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की विधि पूर्वक पूजा अर्चना की जाती है। वही काल अष्टमी को भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ ही काल अष्टमी के दिन काल भैरव बाबा के साथ मां दुर्गा की भी पूजा पूरी विधि-विधान से की जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि काल भैरव की पूजा व ध्यान करने से कार्यों में सफलता तुरंत मिलती है।
काशी के कोतलवाल हैं काल भैरव - शिव पुराण में वर्णन किया गया है कि काल भैरव भगवान शिव के ही रूप हैं। वही भगवान शिव की नगरी काशी के वे कोतवाल के नाम से भी जाने जाते है। कालाष्टमी पूजा मुहूर्त - फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी का प्रारंभ 15 फरवरी दिन शनिवार को शाम 04 बजकर 29 मिनट पर हो रहा है। वही जो कि 16 फरवरी दिन रविवार को दोपहर 03 बजकर 13 मिनट तक है।
कालाष्टमी पूजा विधि- काल अष्टमी की रात में काल भैरव की पूजा विधि पूर्वक करनी चाहिए।इसके साथ ही भैरव कथा का पाठ करना होता है। वहीं इसके बाद यानि उनको पूजा के बाद जल अर्पित करें। काल भैरव का वाहन कुत्ता है, इस दिन को भोजन कराना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही काल भैरव की पूजा के बाद मां दुर्गा की भी विधिपूर्वक पूजा अवश्य करें। ऐसे में रात में मां पार्वती और भगवान शिव की कथा सुनकर रात्रि जागरण करें। व्रत रखने वाले लोगों को फलाहार करना चाहिए। ऐसे विधि पूर्व व्रत करने से आपकी सभी मनवंछित मनोकामनाएं पूरी होगी।
अगर आप भी रगड़कर करते हैं पैर साफ़ तो अभी ही पढ़ ले यह खबर
एक मिनट में आपकी किस्मत बदल सकती है कपूर की टिकिया
अंगूठे के आकार से जान सकते है किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व और भविष्य